यूक्रेन को लेकर मचे घमासान (Ukraine Crisis) के बीच रूस (Russia) ने मंगलवार को सीमा से कुछ सैनिकों को वापस बुलाने का ऐलान किया.
रूस के इस फैसले से यूरोप (Eastern Europe) में जंग का खतरा कुछ नरम तो पड़ा है, लेकिन अभी भी पूरी तरह से शांत नहीं हुआ है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन में सैनिक कार्रवाई की आशंका जताई है.
बाइडन ने बुधवार को कहा कि उन्हें लगता है कि उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन में ‘हस्तक्षेप करेंगे’ बाइडन के इस बयान के बाद यूक्रेन में उनकी आलोचना होने लगी. उसके बाद गुरुवार को दिए एक भाषण में राष्ट्रपति बाइडन अपने पहले के बयान से पीछे हट गए.
अमेरिका की ओर से यूक्रेन को सैन्य मदद की मंज़ूरी मिलने के बाद इसी सप्ताह हथियारों की पहली खेप यूक्रेन पहुंची है रूस से ब्रिटेन और अमेरिका के आरोपों को फर्जी और झूठा करार दिया है.
यूक्रेन को लेकर रूस ने पश्चिमी देशों के सामने कई मांगें रखी हैं.
उसने ज़ोर देकर कहा है कि यूक्रेन को कभी नेटो का सदस्य नहीं बनने देना चाहिए और नेटो गठबंधन को पूर्वी यूरोप में अपनी सभी सैन्य गतिविधि छोड़ देनी चाहिए.
यूक्रेन ने 2014 में जब अपने रूस समर्थक राष्ट्रपति को उनके पद से हटा दिया तो इस बात से नाराज़ होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्राइमिया प्रायद्वीप को अपने क़ब्ज़े में ले लिया.
वहां के अलगाववादियों को अपना समर्थन दिया,
जिन्होंने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर क़ब्ज़ा कर लिया.
तब से रूस समर्थक विद्रोहियों और यूक्रेन की सेना के बीच चल रही लड़ाई में 14 हज़ार से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि पश्चिमी ताक़तों का आक्रामक व्यवहार ऐसा ही बना रहा तो “उपयुक्त जवाबी क़दम” उठाए जाएंगे.
नेटो महासचिव ने चेतावनी दी है कि यूक्रेन को लेकर संघर्ष का ख़तरा वास्तविक है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन भी मानते हैं कि रूस आगे बढ़ सकता है.रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने मौजूदा हालात की तुलना 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से की है.
उस दौरान अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु संघर्ष के क़रीब पहुंच गए थे.