उच्चतम न्यायालय का कालकाजी मंदिर से अतिक्रमण हटाने के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार

दुकानों पर कब्जा रखने का वैध अधिकार नहीं

नई दिल्ली, 25 मार्च  उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश में
हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया

जिसमें दक्षिण दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर से अतिक्रमण, अनधिकृत
निवासियों और दुकानदारों को, जिनके पास दुकानों पर कब्जा रखने का वैध अधिकार नहीं है, हटाने का आदेश
दिया था।

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस अर्जी पर सुनवाई को इच्छुक नहीं हैं।
हम याचिकाकर्ताओं को आजादी देते हैं

प्रशासक अनुकूल निर्देश के लिए उच्च न्यायालय को रिपोर्ट देगा

कि वे अपनी शिकायतों को उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक के
समक्ष ले जाए और प्रशासक अनुकूल निर्देश के लिए उच्च न्यायालय को रिपोर्ट देगा।

’’ पीठ ने कहा, ‘‘कुछ मामलों
में उच्च न्यायालयों के प्रति विश्वास रखने की जरूरत है। हम सभी उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश रहे हैं। हम यहां
सभी मामलों के अपीलीय मंच नहीं है। आराध्य की गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए।’’

अंत में पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पीएन मिश्रा से कहा कि उन्हें इस कार्रवाई में
सहयोग करना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘हमने उच्च न्यायालय का फैसला देखा है।

उच्च न्यायालय ने जिस कारण पर
विचार किया है वह है कि नवरात्रि शुरू होने वाली है और आपकी रुचि केवल रुपये बनाने में है।’’

मिश्रा ने कहा कि उनके मुवक्किलों की रुचि रुपये बनाने में नहीं है लेकिन उस जमीन पर है जो उनकी है और जहां
वे वर्षों से हैं। पीठ ने कहा कि जो विस्थापित होंगे उनका पुनर्वास होगा।

मिश्रा ने सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की रिपोर्ट को रेखांकित किया जो कहती है कि जमीन पुजारियों की है
न कि अराध्य की। उन्होंने कहा

निजी जमीन है जो पुजारियों की है न कि अराध्य की

, ‘‘जब अदालत ने वर्ष 2013 में याचिका पर सुनवाई की थी तब ये पुजारी अपनी
जमीन पर दावा करने के लिए सामने आए थे।

एसडीएम को जमीन के वास्तविक मालिक का पता लगाने का
निर्देश दिया गया था। एसडीएम ने हलफनामा दाखिल किया जिसमें कहा गया कि यह निजी जमीन है जो पुजारियों
की है न कि अराध्य की। यह सरकारी जमीन नहीं है बल्कि निजी जमीन है।’’

मिश्रा ने कहा कि झुग्गियों का ध्वस्तीकरण हो रहा है जो अनधिकृत निर्माण है, लेकिन वहां धर्मशालाएं भी है जो
करीब 200 साल पुरानी हैं और इनमें पुजारी वर्षों से रह रहे हैं।

इसपर पीठ ने कहा, ‘‘आप अपनी शिकायत के साथ प्रशासक से संपर्क कर सकते हैं जिसकी नियुक्ति उच्च
न्यायालय ने की है या आप उच्च न्यायालय जा सकते हैं।’’

पुजारियों को हटाने को लेकर कोई निर्देश नहीं है

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि पुजारियों को हटाने को लेकर कोई निर्देश नहीं है और यह आदेश केवल अनधिकृत
निर्माण को लेकर है।

गौरतलब है कि पिछले साल 27 सितंबर को उच्च न्यायालय ने दक्षिण दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर से
अतिक्रमण और अनधिकृत तरीके से रह रहे लोगों व दुकानदारों जिनके पास दुकान पर कब्जे का वैध अधिकार नहीं

है उन्हें हटाने का निर्देश दिया था। अदालत ने नवरात्रि के मद्देनजर पांच दिन में कार्रवाई करने का आदेश दिया
था।

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