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ग्लूकोमा सप्ताह के तहत ओपीडी सेवा की शुरुआत

गुरुग्राम, 14 मार्च  अगर आपकी आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें।
यह ग्लूकोमा (काला मोतियाबिंद) भी हो सकता है।

इसकी जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सप्ताह में दो दिन
ओपीडी सेवा शुरू की है। प्रत्येक सप्ताह हर मंगलवार को सेक्टर-10 नागरिक अस्पताल में और शुक्रवार को सेक्टर-
31 स्थित पॉलीक्लीनिक में ओपीडी लगाई जाएगी। इस दौरान आप अपनी आंखों की जांच करवा कर सकेंगे।

युवाओं में भी ये बीमारी हो सकती है

ग्लूकोमा सप्ताह के तहत ओपीडी सेवा की शुरुआत की गई है। सिविल सर्जन डॉ. वीरेंद्र यादव ने बताया कि काला
मोतियाबिंद होने पर मरीजों को पहले धुंधला दिखता है।

कुछ लोगों को सिरदर्द भी होता है। मरीज के चश्मे का
नंबर भी बार-बार बदलता रहता है। उन्होंने कहा कि 40 वर्ष से ज्यादा आयु के लोगों में ये बीमारी आम तौर पर
पाई जाती है। इसके अलावा युवाओं में भी ये बीमारी हो सकती है।

ऐसे में उन्होंने अपील करते हुए कहा कि 40
साल से ऊपर आयु के लोग और जिन लोगों के घर में पहले से किसी व्यक्ति को काला मोतियाबिंद है, उन परिवारों
के युवा भी साल में एक बार काला मोतियाबिंद की जांच जरूर करवाएं।

उन्होंने कहा कि अस्पतालों में नियमित
जांच के अलावा विशेष तौर पर काला मोतियाबिंद की जांच के लिए अगल से सप्ताह में दो दिन विशेष ओपीडी
लगाई जाएगी।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. टीएन आहूजा ने बताया की काला मोतियाबिंद होने पर मरीज की आंख के अंदर एक तरल
पदार्थ पैदा होता है। यह तरल पदार्थ आंख के महीन छिद्रों (फिल्टर) से बाहर निकलते हैं।

अस्पताल आकर इसकी जांच करवाएं

उम्र के साथ छिद्र तंग हो
जाते हैं, इस कारण तरल पदार्थ के निकलने की प्रक्रिया बाधित होती है। इससे आंख पर दबाव बढ़ने लगता है। ये
दबाव आंखों से दिमाग को सिग्नल भेजने वाला रेशे को क्षतिग्रस्त करता है। इससे दिखना भी बंद हो सकता है।

दवा और ऑपरेशन से इलाज संभव : नेत्र रोग चिकित्सकों के अनुसार काला मोतियाबिंद होने पर आंखों की रोशनी
धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाती है।

ऐसे लक्षण नजर आएं तो तुरंत अस्पताल आकर इसकी जांच करवाएं। नेत्र
रोग विशेषज्ञों के मुताबिक दवाइयों, लेजर तकनीक के अलावा ऑपरेशन से काला मोतिया का समय रहते इलाज
संभव है और मरीज इस बीमारी से निजात पा सकता है।