नई दिल्ली, एनसीआर क्षेत्र के ऐसे उद्योग जिनके पास तक पीएनजी की आपूर्ति नहीं पहुंच
रही है,
उन्हें जैव ईंधन के प्रयोग की तरफ बढ़ना होगा। केन्द्रीय वायु गुणवत्ता आयोग ने इस संबंध में दिशा-निर्देश
जारी किए हैं। आयोग ने जैव ईंधन के प्रयोग के साथ ही यहां से निकलने वाले प्रदूषक कणों के उत्सर्जन मानक भी
तय किए हैं।
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र के लोगों को जाड़े के समय भयावह वायु प्रदूषण का सामना करना पड़ता है। लोगों को
इससे बचाने के लिए आयोग ने सभी उद्यमों को ईंधन के लिए पीएनजी पर शिफ्ट होने के लिए कहा है।
जबकि,
ऐसे उद्यम जहां पर अभी पीएनजी आपूर्ति का बुनियादी ढांचा नहीं है, वहां पर जैव ईंधन के प्रयोग के निर्देश दिए
गए हैं। आयोग के जैव ईंधन वाले बॉयलर में पीएम कणों का अधितकम उत्सर्जन मानक 80 मिलीग्राम प्रति
क्यूबिक मीटर होना चाहिए। हालांकि, उद्यमों को अपनी ओर से उपयुक्त प्रौद्योगिकी उन्नयन और आवश्यक वायु
प्रदूषण नियंत्रण उपकरणओं की स्थापना के जरिए 50 मिलीग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के उत्सर्जन का लक्ष्य रखना
चाहिए।
आयोग ने इससे पहले पीएनजी या स्वच्छ ईंधन का उपयोग नहीं करने वाले उद्योगों का संचालन सप्ताह में पांच
दिन के लिए सीमित कर दिया था।
बाद में आयोग से पीएनजी के अलावा जैव ईंधन के उपयोग की अनुमति को
लेकर विभिन्न संगठनों, एसोसिएशन आदि ने मुलाकात की थी।
आयोग ने अपने निर्देश मे कहा है कि वर्तमान में
बॉयलर संचालन के लिए जैव ईंधन का इस्तेमाल करने वाले उद्योगों में पीएम उत्सर्जन के विश्लेषण से संकेत
मिलता है कि कार्बन उत्सर्जन के मामले में जैव ईंधन पारंपरिक जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला-डीजल आदि की तुलना
में बहुत बेहतर है।