दर्ज मुकदमों में समन मिलने के बाद किसानों ने शुरू की आंदोलन की तैयारी
पलवल, 04 मई । बिल वापसी को लेकर किए गए किसान आंदोलन के दौरान किसानों की ओर से
सरकार के सामने रखी गई मांगे अभी तक नहीं मानी गई हैं।
वहीं आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए केस को लेकर
किसानों के पास अब समन पहुंचने लगे हैं। समन में किसानों को थाने में हाजरी लगाने के लिए कहा जा रहा है।
इसे लेकर किसान एक बार फिर आंदोलन की रूपरेखा तयार करने में लगे हुए हैं।
किसानों का कहना है कि सरकार
ने वादा किया था कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाया जाएगा
, साथ ही आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस
वापस लेने का भी वादा किया गया था। लेकिन इन मांगों को अभी तक नहीं माना गया है।
बुधवार को जींद से आए राष्ट्रीय संयोजक सर्वजातिय खाप पंचायत टकराम कंडेला ने पलवल स्थित जाट धर्मशाला
में सरकार के वादों के खिलाफ एक प्रेसवार्ता की। इस प्रेस वार्ता में कहा गया कि सरकार ने अभी तक ना तो
एमएसपी पर अपने कहे अनुसार कोई कानून नहीं बनाया है और ना ही किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज केसों
को वापस लिया गया है। उन्होंने इस दौरान कहा कि सरकार की वादा खिलाफी को लेकर वो हरियाणा में
जनजागरण अभियान चला रहे हैं। अगर सरकार किसानों की मांगों को नहीं मानती है तो जल्द ही एक महापंचायत
का आयोजन किया जाएगा और आंदोलन की रहा पकडी जाएगी।
किसान नेता महेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए रेल रोको आंदोलन किया
गया था। इसको लेकर किसानों पर केस दर्ज कर किए थे लेकिन सरकार ने सभी केस वापस लेने को कहा था जो
अभी तक नहीं लिए गए हैं। इसी सिलसिले में उनके पास रेलवे पुलिस की तरफ से सम्मन आ रहे हैं कि जल्द ही
कोसी थाना में हाजिर हों।
इस मौके पर अमर सिंह, लखी राम, रुपराम तेवतिया, सोहनपाल, रतिराम, हरीश, रणवीर
चौहान सहित अन्य किसान मौजूद रहे।
रेल रोको आंदोलन में भी दर्ज हुए थे केस : कृषि कानूनों को रद्द् करवाने के लिए पूरे देश के किसानों ने सबसे
बडा आंदोलन किया था। इस आंदोलन के दौरान कई बार किसानों ने अपनी मांगों को मनवाने के लिए रोड जाम,
रेलवे ट्रक जाम सहित अन्य हथकंडे अपनाए थे। आंदोलन के दौरान कई जगह किसानों पर जमकर लाठी चार्ज भी
किया गया था। कई जगह बवाल के चलते पुलिस ने किसानों पर केस दर्ज किए गए थे। किसानों ने सरकार से कह
दिया था कि जब तक कृषि कानून रद्द नहीं होते हैं तब तक आंदोलन चलता रहेगा। आखिरकार केंद्र सरकार को
तीनों बिलों को वापस करना पडा।
जब तीनों कानून वापस लिए गए थे तो सरकार ने किसानों से कुछ वादे किए थे
लेकिन वो वादे अभी तक पूरे नहीं किए गए।
सरकार से सभी वादे पूरे करवाने के लिए किसान एक बार फिर
आंदोलन की राह पर चल सकते हैं।