कानून के अनुसार फैसला करने का निर्देश
नई दिल्ली, 08 मार्च दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को एक तालाब की
भूमि पर अतिक्रमण के आरोपों पर गौर करने का मंगलवार को निर्देश दिया। याचिका में कहा गया है कि तालाब
की भूमि को दिल्ली साहित्य कला परिषद को अवैध रूप से आवंटित किया गया है। यह अवैधता का मामला है और
अधिकारियों को इस पर से परिषद का कब्जा हटाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की एक पीठ ने बुढेला के ‘रेजिडेंट वेलफेयर
एसोसिएशन’ की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए डीडीए को संबंधित पक्षों को सुनने के बाद कानून के
अनुसार फैसला करने का निर्देश दिया।
अदालत ने आदेश में कहा, ‘‘हम प्रतिवादी संख्या 2 (डीडीए) को निर्देश देते हैं कि जहां तक प्रश्नाधीन सम्पत्ति पर
अतिक्रमण का संबंध है, याचिकाकर्ता के दावे पर फैसला करें।
कानून का पालन करते हुए अतिक्रमण जल्द हटाया जाए
निर्णय कानून, नियमों, विनियमों तथा सरकारी नीति
के अनुसार, रिकॉर्ड में दर्ज साक्ष्य के आधार पर और प्रतिवादी संख्या 3 (दिल्ली साहित्य कला परिषद) सहित
संबंधित पक्षों को बात रखने का पर्याप्त अवसर देने के बाद किया जाएगा।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अगर अतिक्रमण हुआ है तो उसे अधिकारियों द्वारा कानून का पालन करते हुए उसे जल्द से जल्द
हटाया जाए।
’’ याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील कृष्ण कुमार शर्मा ने कहा कि प्राधिकारियों ने 2002 में अवैध
रूप से जोहड़/तालाब को अपने कब्जे में ले लिया और उसमें मिट्टी भर दी और फिर इसे एक सभागार के निर्माण
के लिए कला परिषद को आवंटित कर दिया।