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दोस्त, यानी कि एक ऐसा साथी जिस पर आप विश्वास करते हैं

दोस्त, यानी कि एक ऐसा साथी जिस पर आप विश्वास करते हैं

दोस्त

दोस्त, यानी कि एक ऐसा साथी जिस पर आप विश्वास करते हैं कि वो आपसे जो भी कहेगा सच होगा। आपको जो भी सलाह देगा, सही देगा। कभी मुश्किल आई तो विश्वास होगा कि वो आपका साथ देगा। और ये विश्वास पाने में एक अरसा लग जाता है। लेकिन आजकल युवा कल मिले लोगों पर विश्वास कर बैठते हैं। उन्हें सबसे क़रीबी साथी बना लेते हैं। नए दोस्त बनाना सही है, लेकिन सब क़रीबी नहीं हो सकते। ख़ासतौर पर जिसे जाने छह महीने भी न हुए हों। और ये जल्दबाज़ी कई बार हादसों या धोखाधड़ी में बदल जाती है।

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आज आमुख में हम इसी तरह की दोस्ती के बारे में बात करेंगे

आज आमुख में हम इसी तरह की दोस्ती के बारे में बात करेंगे।आपने अभी-अभी जिसको दोस्त बनाया है उसका व्यवहार और आदतें बहुत कुछ कह देती हैं।अगर किसी दोस्त के साथ वक़्त बिताने के बाद आप मानसिक रूप से थक जाते हैं या मन ख़राब हो जाता है तो शायद आपको उसका पुनर्मूल्यांकन कर लेना चाहिए। एक बुरा दोस्त शुरुआत में अत्यंत भरोसेमंद और अच्छा होने का दिखावा कर सकता है, लेकिन समय-समय पर उसकी ईर्ष्या और स्वार्थ दिखाई दे जाते हैं, इसलिए उसके व्यवहार पर ध्यान देना ज़रूरी है।

जब बात आपकी होती है तो तरह-तरह के बहाने दे सकता है

अपना सारा काम आपसे करवा लेता है, लेकिन जब बात आपकी होती है तो तरह-तरह के बहाने दे सकता है। आपकी सफलता से जलन का अहसास होगा। आपके सामने आपकी तारीफ़ करेगा लेकिन पीठ पीछे बुराई करेगा। आपकी उदासी और परेशानी नज़रअंदाज़ कर सकता है। बार-बार मज़ाक़ के बहाने आपका अपमान कर सकता है। आपको बदलने और नियंत्रित करने की कोशिश करेगा। आपके फैसले ख़ुद कर लेगा। झूठ बोलने के लिए उकसा सकता है। अस्वीकृत और असुरक्षित महसूस करा सकता है।

आपकी उपलब्धियों को छोटा दिखाता है

अपनी ग़लती मानने से इनकार कर देता है और वही ग़लती बार-बार दोहराता रहता है। आपकी उपलब्धियों को छोटा दिखाता है और आपकी बात रोककर अपनी बात करता है।अगर कोई दोस्त बनकर जॉब या काम देने का वादा करता/करती है या सामान्य व्यक्ति जो आप से दोस्ती करना चाहता है, पहले उसे परखें। उसे घर पर नाश्ते पर बुलाएं। अगर व्यक्ति सही है तो वो घर आएगा/आएगी और परिवार से भी मिलेगा/मिलेगी। अगर घर आने से इंकार करे तो उस पर विश्वास नहीं कर सकते।

कभी किसी दोस्त के माध्यम से नए लोग जुड़ते हैं

अगर कोई दोस्त बनकर मदद करने का वादा करता है तो वो कभी आपको ग़लत सलाह नहीं देगा। अगर आप कुछ ग़लत करते भी हैं तो आपको सही दिशा देगा। और यही सच्चे दोस्त की पहचान है। कभी किसी दोस्त के माध्यम से नए लोग जुड़ते हैं, तो कभी कोई परिचित ही दोस्त बन जाता है। कई बार ऐसे लोगों को भी दोस्त बना लेते हैं जिनसे आपका कोई ताल्लुक तक नहीं, जैसे कि किसी दोस्त के भाई का दोस्त। काम के सिलसिले में भी मुलाक़ात होती है जो जबानी दोस्ती में बदल सकती है।

उसका पारिवारिक और शैक्षिक बैकग्राउंड ज़रूर जांच लें

नए दोस्त बनाते समय उसका पारिवारिक और शैक्षिक बैकग्राउंड ज़रूर जांच लें। वह कहां से है और कहां से पढ़ाई की है, इसके बार में पता होना चाहिए। वह यहां अकेला रहता/रहती है या परिवार साथ है, उसके परिवार से भी मिलें। अगर कामकाजी है तो कहां काम करता/करती है। अगर वह ये सब बताने से कतराए या पूछने पर बात बदल दे तो कहीं न कहीं वह अपनी पहचान छुपा रहा/रही है। ऐसे में दूरी बना लेना ही बेहतर होगा। आजकल युवा दोस्तों के साथ बाहर जाते हैं, देर रात तक पॉर्टी करते हैं।

क्या उसकी जानकारी आपके परिवार को है?

जिसके साथ आप जा रहे हैं, क्या उसकी जानकारी आपके परिवार को है? क्या वो उससे कभी मिले हैं? आपके लिए उसके क्या इरादे हैं ये आप नहीं जानते। हो सकता है कि अगर आप दोनों के साथ कोई हादसा हो जाए तो आपकी मदद करने के बजाय वो आपको सड़क पर यूं ही छोड़कर अपने घर चला जाए। या फिर हो सकता है कि वह अपना दोष आप पर डाल दे। पुराने या नए दोस्त, जिनसे आप मिलते रहते हैं, समय बिताते हैं या अक्सर जिनके साथ बाहर जाते हैं, उनकी जानकारी परिवार को होना चाहिए।

प्रसिद्ध होने या जल्दी पैसे कमाने की होड़ बढ़ गई है

उन्हें परिवार से मिलाएं। अगर काम के सिलसिले में जा रहे हैं तो इसके बारे में परिवार को बताएं ताकि आप कहां हैं और किसके साथ हैं, उन्हें पता रहे। बच्चों में प्रसिद्ध होने या जल्दी पैसे कमाने की होड़ बढ़ गई है। उन्हें लगता है कि कुछ छोटे-छोटे काम करके वो पैसे कमा सकते हैं। ऐसे में किसी अनजान व्यक्ति की बातों में आना मुश्किल नहीं है। ख़ासतौर पर जब एक ही प्रोफेशन के हों। जब कोई अनजान शख़्स किसी इवेंट या शो में काम के बदले कुछ रकम देने का वादा करता है तो बिना सोचे-समझे युवा उसके साथ चले जाते हैं।

कई बार सिर्फ़ कहीं घूमने ही निकल जाते हैं। यहां बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी ध्यान देना चाहिए कि कमज़ोर आर्थिक स्थिति का असर कहीं बच्चे पर तो नहीं पड़ रहा। अगर आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और बच्चा अभी से कॅरियर बनाना चाहता है तो उसके माध्यम सही हो इसका भी ध्यान रखें। किससे मिलता है और किससे बात होती, उससे जानकारी लेते रहें।

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