90 off

नई दिल्ली,। दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के उस कार्यालय ज्ञापन को निरस्त कर दिया है जिसमें उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को निजी विदेश यात्राओं के लिए राजनीतिक मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि न्यायाधीशों के उच्च पदों को देखते हुए ऐसी शर्त ‘‘अनावश्यक’’ है। न्यायमू्र्ति राजीव शकधर और न्यायमू्र्ति जसमीत सिंह की पीठ ने आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करते हुए कहा कि जब 2011 में केंद्र सरकार द्वारा

शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की विदेश यात्राओं के संबंध में कुछ दिशानिर्देश जारी किए गए थे, तो इसमें ‘‘निजी विदेश यात्राओं को राजनीतिक मंजूरी प्राप्त करने की आवश्यकता से दूर रखा गया’’ और इस बार भी उसी दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए था।

पीठ ने एक अप्रैल को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘हमारे विचार में मौजूदा कार्यालय ज्ञापन में उसी व्यवस्था का पालन किया जाना चाहिए। इसलिए, दिनांक 13 जुलाई 2021 के कार्यालय ज्ञापन के संबंध में जहां शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को विदेश की निजी यात्राओं के लिए राजनीतिक मंजूरी लेने की आवश्यकता होती है, यह अनावश्यक है। उनके पास उच्च पद हैं, विशेष रूप से इस तथ्य को देखते हुए कि 2011 के जारी दिशानिर्देशों के बाद से कुछ भी नहीं बदला है।’’