मुद्रीकरण के नाम पर उसे टुकड़ों में बेचा जा रहा है
नई दिल्ली, 15 मार्च विपक्ष ने आज आरोप लगाया कि सरकार एयर इंडिया के बाद अब भारतीय रेलवे
के निजीकरण की ओर बढ़ रही है
और परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के नाम पर उसे टुकड़ों में बेचा जा रहा है।
लोकसभा में आम बजट में रेल मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के के. सुरेश ने
कहा कि भारतीय रेलवे के आधुनिकीकरण का काम आज़ादी के बाद से प्रथम रेल मंत्री जान मथाई ने शुरू किया था
रेलवे का पूंजीगत व्यय दो लाख 40 हजार करोड़
जो लगातार चलता रहा। ऐसा नहीं है कि रेलवे के आधुनिकीकरण का काम सिर्फ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
(राजग) की सरकार के समय शुरू हुआ है।
श्री सुरेश ने कहा कि इस बार रेलवे का पूंजीगत व्यय दो लाख 40 हजार करोड़ रुपए रखा गया है जिसमें सकल
बजटीय सहायता के रूप में केवल एक लाख 33 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे।
रेलवे भारत के नागरिकों की संपत्ति
बाकी रकम कहां से आएगी, इस बारे में
कोई स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व रेल मंत्री पीयूष गोयल एवं वर्तमान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कई बार
कहा है कि रेलवे भारत के नागरिकों की संपत्ति है और इसका निजीकरण किसी भी दशा में नहीं किया जाएगा
लेकिन सारी योजनाएं एवं कार्यक्रम रेलवे की सुविधाओं एवं सेवाओं को निजी हाथों में सौंपा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सच को छुपा कर जनता को गुमराह किया जा रहा है। परिसंपत्तियों के मुद्रीकरण के नाम पर
विभिन्न सेवाएं एवं सुविधाएं एक एक कर टुकड़ो में निजी हाथों में दी जा रहीं हैं।
भारतीय रेलवे भी किसी कारोबारी के हाथों बेच दी जाएगी
राष्ट्रीय एयरलाइन एयर इंडिया
को टाटा समूह को बेचा जा चुका है और अब भारतीय रेलवे की बारी है। एक दिन भारतीय रेलवे भी किसी कारोबारी
के हाथों बेच दी जाएगी। उन्होंने कहा कि रेलवे ने इसी मकसद से भर्तियां बंद कर दीं हैं।
इससे अनुसूचित जाति
जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों में बेरोजगारी बढ़ रही है क्योंकि सरकारी क्षेत्र में ही आरक्षण मिलता है
और रेलवे सरकारी नौकरियों का बड़ा स्रोत है।
श्री सुरेश ने केरल की रेल मांगों को लेकर भी अपने विचार रखे और चेंगानूर स्टेशन के पुनर्विकास एवं सिल्वरलाइन
परियोजना को स्वीकृति देने की मांग की।
सत्ता पक्ष की ओर से भारतीय जनता पार्टी के कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि भारतीय रेलवे ने कोविड
महामारी के काल में साढ़े 13 करोड़ मजदूरों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया,
36 हजार टन तरल ऑक्सीजन
देश भर में पहुंचा कर अपना दायित्व निभाया। रेलवे ने आधुनिकीकरण के तमाम कार्य करने के बावजूद उसका
बोझ आम यात्रियों पर नहीं डाला बल्कि उनकी सुविधाओं में वृद्धि की है।