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भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी का संकल्प

नई दिल्ली, 20 मार्च  भारत और जापान ने स्वच्छ ऊर्जा के विभिन्न उपायों पर आपसी सहयोग के
लिए भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी का शनिवार को संकल्प किया।

इसके तहत दोनों देश विद्युत वाहन एवं
बैटरी, सौर और पवन ऊर्जा, स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी, जैव ईंधन, कोयला खदानों की गैस और अन्य नए उभरते
ईंधन तथा पैट्रोलियम ईंधन के रणनीतिक भंडार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की घोषणा की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी ने इसे स्वस्थ आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य और जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने की दिशा में एक
महत्वपूर्ण कदम बताया है।

जापान के साथ मित्रता में प्रगति

भारत यात्रा पर आए प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा के साथ राजधानी में हैदराबाद हाउस में
द्विपक्षीय बैठक में दोनों देशों के बीच पहले से मजबूत सहयोग संबंधों को और अधिक विस्तार देने की कयी नई

पहल पर फैसला हुआ। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ‘जापान के साथ मित्रता में प्रगति’ शीर्षक ट्विट में कहा,

“प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी और श्री किशिदा ने नई दिल्ली में उपयोगी बातचीत की। दोनों नेताओं ने दोनों देशों के बीच आर्थिक
और सांस्कृतिक संपर्कों को और बल देने के तरीकों पर बातचीत की।”

प्रधानमंत्री ने बाद में श्री किशिदा के साथ
संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भारत और जापान दोनों ही एक सुरक्षित, विश्वसनीय, भरोसेमंद और मजबूत ऊर्जा
आपूर्ति की व्यवस्था को समझते हैं। स्वस्थ्य आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को पाने और जलवायु परिवर्तन की समस्या

से निपटने के लिए यह अनिवार्य है।” श्री मोदी ने कहा, “स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में हमारी भागेदारी इस दिशा में लिया
गया एक निर्णायक कदम साबित होगा।

” विदेश मंत्रालय के वेबसाइट पर ‘भारत-जापान स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी’
शीषर्क दस्तावेज में कहा गया है,

विकल्पों की तलाश करने की आवश्यकता

“भारत और जापान स्वस्थ आर्थिक वृद्धि के लक्ष्यों को प्राप्त करने तथा जलवायु
परिवर्तन की समस्या का सामना करने के संबंध में सुरक्षित और मजबूत ऊर्जा आपूर्ति व्यवस्था को सुनिश्चित करने
के संबंध में विभिन्न विकल्पों की तलाश करने की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं।”

दस्तावेज में कहा गया है कि
दोनों देशों का मानना है कि कम कार्बन प्रदूषण वाली अर्थव्यवस्था के लक्ष्य तक पहुंचने का कोई एक रास्ता नहीं
हो सकता बल्कि हर देश के लिए अलग-अलग रास्ते हैं।

दोनों देशों ने कहा है कि उनकी यह भागीदारी इस संबंध में
दोनों देशों के बीच सहयोग का आधार होगी।

बयान में भारत द्वारा वर्ष 2070 तक तथा जापान द्वारा 2050 तक
कार्बन उत्सर्जन को शुद्ध रूप से शून्य करने के लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा है

नई प्रौद्योगिकी तथा व्यवसायिक मॉडलों की ओर बढ़ रहे हैं

कि दोनों देश कम प्रदूषण
करने वाले नए ईंधनों और नई प्रौद्योगिकी तथा व्यवसायिक मॉडलों की ओर बढ़ रहे हैं ताकि कम कार्बन प्रदूषण
वाली अर्थव्यवस्था वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।

दोनों देशों ने कहा है कि स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में यह
भागीदारी ‘भारत-जापान ऊर्जा वार्ता’ के तहत की जाएगी, जिसकी शुरूआत वर्ष 2007 में हुयी थी।

इसमें कहा गया
है कि इस भागीदारी के तहत दोनों देश ई-वाहन, बैटरी वाहन चार्जिंग, ऊर्जा संरक्षण, सौर ऊर्जा का विकास, पवन

ऊर्जा, हरित हाइड्रोजन, स्वच्छ और हरित अमोनिया, एलएनजी के अधिक और स्वच्छ उपयोग, कार्बन के अवशोषण,
उपयोग और संचय, बायो ईंधन, कोयला खदान की गैसों सहित ईधन के

जल स्त्रोतों के स्वस्थ विकास में भी सहयोग पर सहमति

नए क्षेत्र, पैट्रोलियम आदि के रणनीतिक
भंडार और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग करेंगे। दोनों देशों के बीच स्वच्छ ऊर्जा भागीदारी के तहत
पुरानी और खराब बैटरी और सोलर पैनल आदि के निस्तांरण एवं रि-साइकल,

स्वच्छ इस्पात, स्वच्छ निर्माण,
स्वस्थ शहरी विकास, जल स्त्रोतों के स्वस्थ विकास और उपयोग के क्षेत्र में भी सहयोग पर सहमति बनी है।

दस्तावेज में कहा गया है कि इसके तहत ना केवल विनिर्माण क्षेत्र बल्कि अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी),
प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और सस्ती दर पर दीर्घकालिक कर्ज सुविधा के क्षेत्र में भी सहयोग

किया जाएगा। दस्तावेज में कहा गया है कि दोनों देशों की इस भागीदारी से स्वच्छ आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन
और नवप्रवर्तन को बल मिलेगा।