नई दिल्ली, 09 मार्च केजरीवाल सरकार द्वारा की जा रही लगातार अनदेखी के खिलाफ बुधवार को
किसानों ने मुख्यमंत्री निवास के बाहर महापंचायत की और विरोध प्रदर्शन किया।
दिल्ली के किसान अपनी मांगों के
समर्थन में पिछले एक महीने से मुख्यमंत्री निवास के बाहर धरने पर बैठे हुए हैं लेकिन अभी तक किसानों से
सरकार की तरफ से कोई संपर्क नहीं किया गया। महापंचायत को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह
बिधूड़ी ने सरकार के इस रवैये को तानाशाही पूर्ण और किसान विरोधी बताया।
उन्होंने घोषणा की कि जब तक
दिल्ली सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं करती, किसानों का यह आन्दोलन जारी रहेगा। दिल्ली के किसानों
की उपेक्षा और उनसे किए गए वादे पूरे न होने के कारण किसान 9 फरवरी से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के
निवास के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं।
धरने का नेतृत्व दिल्ली प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के
अध्यक्ष विनोद सहरावत कर रहे हैं। महापंचायत को दिल्ली प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष जयवीर राणा और किसान
मोर्चा के महामंत्री राजपाल राणा और अनूप चौधरी ने भी संबोधित किया।
दिल्ली के किसान मांग कर रहे हैं कि
उनसे सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली का जो वादा किया गया था, वह पूरा किया जाए। दिल्ली सरकार ने लालडोरा
बढ़ाने और किसानों की अधिग्रहित की जाने वाली जमीन का मुआवजा बढ़ाने का भी वादा किया था लेकिन उसे भी
पूरा नहीं किया। जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की जाती है, उन्हें वैकल्पिक आवासीय प्लाट देने की योजना
को भी आप सरकार ने बंद कर दिया है। जिन किसानों की मृत्यु हो जाती है, उनके उत्तराधिकारियों का नाम राजस्व
विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया जा रहा। इससे वे अपने हक से वंचित हैं। इसके अलावा किसानों को सिंचाई के
लिए ट्यूबवैल लगाने की अनुमति और बिजली के कनेक्शन देने का वादा भी सरकार भूल गई है।
दिल्ली के किसान
कृषि यंत्रों, खाद और ट्रेक्टरों पर सबसिडी की मांग भी कर रहे हैं। हाल ही में हुई बरसात से जिन किसानों की
फसल नष्ट हुई है, उन्हें 50 हजार रुपए प्रति हैक्टेयऱ का मुआवजा देना भी किसानों की मुख्य मांग है।
मुख्यमंत्री
ने ऐलान किया था कि दिल्ली के किसानों को एमएसपी का 50 प्रतिशत अलग से भुगतान किया जा रहा है लेकिन
सच्चाई यह है कि आज तक यह राशि नहीं दी गई। 2018 से अब तक का 400 करोड़ रुपए के बकाए का भुगतान
किया जाए।
गांवों का विकास और ग्राम सभा की जमीन का इस्तेमाल सिर्फ गांववालों के विकास के लिए किया
जाए, किसान यह भी मांग कर रहे हैं। बिधूड़ी ने सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि वह किसानों के धैर्य की
परीक्षा नहीं ले क्योंकि किसान अपनी इस अनदेखी को और बर्दाश्त नहीं करेंगे।