बाल आयोग ने हर्ष मंदर की कहानी पर एनसीईआरटी से स्पष्टीकरण मांगा
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एनसीईआरटी से सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर की एक कहानी को अंग्रेजी की किताब में शामिल करने पर स्पष्टीकरण मांगा है। हर्ष मंदर के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) चिल्ड्रन होम्स में पैसों की गड़बड़ी के आरोपों की जांच कर रहा है। हर्ष मंदर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कलेक्टर रह चुके हैं।
आयोग ने एनसीईआरटी को लिखी चिट्ठी में एक सप्ताह के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है और उचित कार्रवाई करने को कहा है। कक्षा नौवीं की अंग्रेजी की किताब में हर्ष मंदर की कहानी को शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस ने नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) के निर्देश पर एफअआईआर दर्ज की थी।
एनसीपीसीआर के मुताबिक दिल्ली के महरौली इलाके में हर्ष मंदर के दो बालगृहों- उम्मीद अमन घर (लड़कों के लिए) और खुशी रेनबो होम (लड़कियों के लिए) में पैसों की गड़बड़ी पाई गई है। कौन हैं हर्ष मंदर : मंदर 1980 में आईएएस अधिकारी बने। साल 2002 में गुजरात दंगों के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और गैर सरकारी संगठन (एनसीओ) में काम करना शुरू किया।
वे राइट टू फूड कैंपेन में सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल कमिश्नर के तौर पर भी काम कर चुके हैं और यूपीए सरकार के दौरान केंद्र सरकार की नेशनल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य रह चुके हैं। फिलहाल वे नई दिल्ली के सेंटर फॉर इक्विटी स्टडीज के डायरेक्टर हैं।