मुंबई, 07 मार्च यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद यूरोपीय संघ और अमेरिका ने रूस के कारोबार तथा
व्यापार पर तमाम सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं।
इससे परेशान रूस की तेल कंपनियां भारत को भारी छूट पर कच्चा
तेल देने को तैयार हैं बशर्ते भुगतान स्विफ्ट के बजाय किसी और व्यवस्था से हो। मामले से वाकिफ सूत्रों ने बताया
कि रूस की तेल कंपनियों ने मौजूदा भाव के मुकाबले 25 से 27 फीसदी कम दाम पर कच्चा तेल देने की पेशकश
की है।
रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्थ भारत को कच्चा तेल देती है। पिछले साल दिसंबर में रूस के
राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान रोसनेफ्थ और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने 2022 के अंत तक
20 लाख टन तेल की आपूर्ति का करार किया था।
एशिया से तेल आयात पर निर्भरता घटाने के प्रयास के तहत भारत रूस और अमेरिका से कच्चा तेल आयात करने
पर जोर दे रहा है। एक सूत्र ने कहा कि रूस की तेल कंपनियों की कीमतों में भारी छूट की पेशकश आकर्षक है।
हालांकि अभी इसका कोई संकेत नहीं दिया गया है कि भुगतान किस तरह किया जाएगा।
ब्लूमबर्ग की एक खबर के मुताबिक रूस की प्रमुख कंपनी ने प्रतिबंध से ठीक पहले की तारीख के भाव से 11.60
डॉलर प्रति बैरल कम भाव पर कच्चे तेल की आपूर्ति का प्रस्ताव दिया है।
हालांकि खरीदारों ने बोली नहीं लगाई है
क्योंकि संभावित प्रतिबंध की आशंका से वे कारोबार करने से परहेज कर रहे हैं। भारतीय बैंकों ने पश्चिमी देशों
द्वारा स्विफ्ट पर लगी पाबंदी के उल्लंघन के डर से रूस को धन भेजना बंद कर दिया है।
अमेरिका और यूरोपीय
संघ ने रूस के कई बैंकों को स्विफ्ट से बाहर कर दिया है।
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक उद्योग और बैंकों से वैकल्पिक भुगतान व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं ताकि
आयातकों को भुगतान किया जा सके। बैंकों ने रुपया और रूबल में व्यापार की अनुमति देने का सुझाव दिया है
मगर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है।
भारत रूस से काफी कम तेल आयात करता है और अपनी जरूरत का 70 फीसदी कच्चा तेल ओपेक देशों से
खरीदता है। 2021 में भारत ने रोजाना 42 लाख बैरल कच्चे तेल का आयात किया था, जो कोविड से पहले के
आयात की तुलना में कम है।
नोमुरा के अनुसार रूस-यूक्रेन-बेलारूस के साथ भारत का सीधे तौर पर कारोबार
काफी कम (कुल निर्यात का 1 फीसदी और कुल आयात का 2.1 फीसदी) है लेकिन कुछ खास उत्पादों की आपूर्ति
पर निर्भरता काफी अधिक है।
खनिज ईंधन के मामले में इसकी हिस्सेदारी 2.8 फीसदी है लेकिन मूल्य के लिहाज
से परोक्ष निवेश काफी अधिक है।
नोमुरा ने ग्राहकों के नोट में कहा है,;सरकार खाद्य तेल और उर्वरकों के वैकल्पिक आयात स्रोतों की संभावना
तलाश रही है। रुपया-रूबल कारोबार पर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है।
यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद कच्चे
तेल का दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात
करता है। ऐसे में इसके दाम बढ़ने से खजाने पर बोझ बढ़ेगा।
जेपी मॉर्गन ने साल के अंत तक कच्चे तेल के दाम
185 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।