डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने शून्यकाल के दौरान यह मांग की
नई दिल्ली, 16 मार्च भारतीय जनता पार्टी के सदस्य डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे ने आज राज्यसभा में
सरकार से भारतीय पारंपरिक वाद्ययंत्रों को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने के साथ ही भारत रत्न स्वरकोकिला लता
मंगेशकर के नाम पर एक पांरपरिक वाद्ययंत्र संस्थान बनाने की भी मांग की।
डॉ. सहस्त्रबुद्धे ने सदन में
शून्यकाल के दौरान यह मांग करते हुये कहा कि तानपुरा, वीणा, दिलबहार जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों को भारतीय
लोकगीतों और संगीतों में उपयोग होता है।
तीन हजार से अधिक वाद्ययंत्र निर्यात किये
हालांकि यह उद्योग पारिवारिक बनकर रह गया है और देश में
महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के कुछ क्षेत्रों में ये यंत्र बनाये जा रहे हैं।
भारतीय संगीत परंपरा को समृद्ध
बनाने में भी इन यंत्रों को बहुत बड़ा योगदान है लेकिन इनको बनाने वालों को सम्मान नहीं मिल रहा है।
उन्होंने
बताया कि हाल के वर्षों में इस तरह के तीन हजार से अधिक वाद्ययंत्र निर्यात भी किये गये हैं।
वाद्ययंत्रों को बनाने वालों को बैंकों से ऋण की मांग
उन्होंने कहा कि
इसके संरक्षण के लिए इनको बनाने वालों को बैंकों से ऋण मिलना चाहिए।
इसके साथ ही शिक्षा विभाग को भी इन
यंत्रों को पाठ्यक्रमों में शामिल करने की मांग करते हुये
उन्होंने कहा कि इनके विपणन और भंडार की व्यवस्था की
जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय लता मंगेशकर के नाम पर एक पारंपरिक वाद्ययंत्र संस्थान भी बनाये जाने
चाहिए।