Untitled design 2022 03 05T213547.212

ग्रेटर नोएडा, 05 मार्च  देश में सबसे पहले गौतमबुद्ध नगर में मोटर दुर्घटना दावा मामलों के निपटारे
के लिए पर पायलट परियोजना की शुरुआत की गई है।

योजना के तहत अब मुआवजा पाने के लिए लोगों को सालों
इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

मामले में केस फाइल करने की भी आवश्यकता भी नहीं होगी। अधिकतम एक वर्ष के
अंदर पीड़ित या स्वजन को मुआवजा मिल जाएगा।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति
राजेश बिदल ने शनिवार को गलगोटियाज विवि में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में पायलट परियोजना की शुरुआत

की। वाहन दुर्घटना के मामले लगातार प्रकाश में आते रहते हैं।

कई बार पीड़ित की मौत हो जाती है तो कई बार
अंग भंग हो जाते हैं। घटना में पीड़ित के साथ ही स्वजन को भी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

केस फाइल करने के साथ ही अधिवक्ता की भी फीस देनी पड़ती है। अधिकतर मुकदमे का निपटारा दस से बीस
साल में होता है। ऐसे में लोग टूट जाते हैं।

मामले में केंद्र सरकार ने भी सेंट्रल मोटर साइकिल रूल्स बना दिया है,
लेकिन यह योजना एक अप्रैल से पूरे देश में लागू हो जाएगी।

उससे पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत गौतमबुद्ध
नगर में सबसे पहले रविवार से योजना की शुरुआत हो जाएगी। न्यायमूर्ति राजेश बिदल ने कहा कि पायलट
प्रोजेक्ट शुरू होने से वाहन दुर्घटना में बहुत से पीड़ितों को जल्द सहायता मिलेगी।

कहा कि मौत के मामले में बहुत
से लोग झूठा वाद दायर कर लाभ लेते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश
जेआर मिधा ने बताया कि गौतमबुद्ध नगर में पायलट प्रोजेक्ट योजना रविवार से शुरू हो जाएगी।

नई योजना में
सभी चीजें स्वयं होगी, पीड़ित को केस फाइल करने की भी आवश्यकता नहीं होगी। नई योजना के लिए अलग-
अलग फार्म बनाए गए हैं। दुर्घटना के बाद पहले पुलिस फार्म भरेगी।

बाद में वाहन के चालक, वाहन मालिक,
पीड़ित व इंश्योरेंस कंपनी फार्म भरेगी। पूरी प्रक्रिया में एक साल के अंदर पीड़ित को मुआवजा मिल जाएगा।