‘शहरी वक़्फ़ विकास योजना’ से कर्नाटक के मुसलमान सबसे अधिक लाभान्वित'
नई दिल्ली, 27 अप्रैल केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल की नई योजना ‘शहरी वक़्फ़ सम्पत्ति विकास योजना’ से
नई तस्वीर उभर रही है। देश में इसके व्यापक सकारात्मक बदलाव नज़र आ रहे हैं और योजना का सबसे अधिक
लाभ कर्नाटक ने उठाया है। कर्नाटक में इस योजना के तहत अब तक 96 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं जबकि
सबसे फिसड्डी राज्य में दिल्ली का नाम है। स्वतंत्र पत्रकार और मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के
चेयरमैनडॉक्टर शुजाअत अली क़ादरी के अनुसार केन्द्रीय वक़्फ़ कौंसिल की शहरी वक़्फ़ सम्पत्ति विकास योजना क्या
है और किस तरह यह योजना मुसमलानों के लिए लाभकर साबित हो रही है।
इस योजना की ज़रूरत इसलिए पड़ी क्योंकि कई कारणों से, देश में अधिकांश औकाफ की आय सीमित है। इसका
परिणाम यह होता है कि आम तौर पर मुतवल्ली (औकाफ के प्रबंधक) के लिए उन उद्देश्यों को पर्याप्त रूप से पूरा
करना मुश्किल होता है जिनके लिए ये औकाफ बनाए गए थे। अधिकांश शहरी वक्फ भूमि में विकास की संभावना
है लेकिन मुतवल्ली और यहां तक कि वक्फ बोर्ड भी इन जमीनों पर आधुनिक कार्यात्मक भवन के निर्माण के लिए
पर्याप्त संसाधन जुटाने की स्थिति में नहीं है।
वक्फ बोर्डों की वित्तीय स्थिति में सुधार लाने और उन्हें अपने कल्याण कार्यों के क्षेत्र को बढ़ाने में सक्षम बनाने के
लिए, यह योजना खाली वक्फ भूमि को अतिक्रमणकारियों से बचाने और आर्थिक रूप से लागू हो सकने वाली
परियोजनाओं को विकसित करने की दृष्टि से तैयार की गई है। इन ख़ाली पड़ी लेकिन उपयोगी वक़्फ़ संपत्तियों को
अधिक आय उत्पन्न लायक़ बनाने और कल्याणकारी गतिविधियों को व्यापक बनाना ही ‘शहरी वक़्फ़ सम्पत्ति
विकास योजना’ का उद्देश्य है। इस योजना के तहत, वक्फ भूमि पर आर्थिक रूप से चल सकने लायक़ भवन, जैसे
वाणिज्यिक परिसर, मैरिज हॉल, अस्पताल, कोल्ड स्टोरेज आदि के निर्माण के लिए देश में विभिन्न वक्फ बोर्डों
और वक्फ संस्थानों को ब्याज मुक्त ऋण दिया जाता है।
केंद्रीय वक्फ परिषद यानी अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की तरफ़ से वार्षिक सहायता अनुदान के साथ 1974-75
से इस योजना को लागू कर रही है। इस योजना के तहत, केंद्र सरकार ने सितंबर 1974 से मार्च, 2021 के बीच
कुल 6293.66 लाख रुपए की सहायता अनुदान जारी किया है और बदले में केंद्रीय वक्फ परिषद ने 155
परियोजनाओं को ब्याज मुक्त ऋण दिया है। साल 2017 में मूल्यांकन के बाद यह पाया गया कि उपरोक्त योजना
को कम से कम दस वर्ष और जारी रखने की आवश्यकता है ताकि पर्याप्त संख्या में वक्फ संपत्तियों का विकास
किया जा सके।