नई दिल्ली, 26 फरवरी सामूहिक दुष्कर्म के मामले में उच्च न्यायालय ने दोषियों को राहत देने से
इनकार कर दिया। साथ ही निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील को भी खारिज कर दिया।
न्यायालय ने
कहा कि शक के आधार पर दोषियों का अपराध साबित हुआ है।
ऐसे में उनको जेल में पूरी सजा काटनी होगी।
जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने दोषी अमित, विक्की उर्फ विजय, यासीन, लक्की, सत्यजीत विश्वास और उमाशंकर की
अपील को खारिज कर दिया।
दोषियों को निचली अदालत ने अप्रैल, 2016 में सामूहिक दुष्कर्म के मामले में 12
साल कैद की सजा सुनाई थी।
साथ ही, आर्थिक दंड लगाया था। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि ‘मामले में
परिस्थितियों, पेश सामग्री और सक्ष्यों में विरोधाभास है, लेकिन चिकित्सा साक्ष्य के साथ फॉरेंसिक रिपोर्ट दोषियों
को सजा देने के लिए पर्याप्त है।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, 19 मई 2012 को एक महिला जैतपुर से नेहरू प्लेस जाने के लिए ग्रामीण सेवा में बैठी
थी।
आरोप था कि वाहन चालक लक्की ने महिला को आगे छोड़ने के बहाने बैठाए रखा और बाद में दोस्तों को
बुलाकर दुष्कर्म व कुकर्म किया।