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बंदरों के लिए अरवली में ही खाने का बंदोबस्त किया

फरीदाबाद, 31 मार्च  स्मार्ट सिटी के लोगों को बंदरों के आतंक से निजात दिलाने के लिए नगर निगम
ने योजना तैयार कर ली है।

इसके अनुसार बंदरों को पकड़कर अरावली की पहाड़ियों में छोड़ा जाएगा। बंदर दोबारा
आबादी का रुख ना करने को ध्यान में रखकर बंदरों के लिए अरवली में ही खाने का बंदोबस्त किया जाएगा।

योजना को कामयाब करने और लोगों को परेशानी से निजात दिलाने के लिए निगम बंदरों को पकडने वाली टोलियों
का सहयोग लेगा। जिसकी एवज में निगम का सहयोग करने वाली संबंधित टोलियों को मेहनताना भी दिया

जायेगा। इसके लिए नगर निगम ने मंगलवार की टेंडर जारी कर दिए हैं। इस अभियान में सहयोग करने वाली
टोली पांच अप्रैल तक टेंडर भर सकते हैं।

शहर में करीब 15 हज़ार बंदर हो चुके हैं

इसके बाद बंदरो को पकड़ने के लिए अभियान शुरू कर दिया जाएगा।
दिल्ली नगर निगम पर लगा रहे आरोप

फरीदाबाद में कई वर्ष से बंदरो की तादाद बढ़ती जा रही है।

निगम सूत्रों के अनुसार शहर में करीब 15 हज़ार बंदर
हो चुके हैं। नगर निगम के कर्मचारियों का आरोप है

कि दिल्ली नगर निगम के कर्मचारी दिल्ली से बंदरों को
पकड़कर फरीदाबाद की सीमा में छोड़ जाते है।

ऐसी सूचना भी नगर निगम फरीदाबाद को मिलती है लेकिन जब
मौके पर जाते है तो वहां कोई नही मिलता है।

अब दिल्ली सीमा पर पहरा देने की तैयारी

बहरहाल, अभी तक किसी को रंगे हाथ नही पकड़ा गया है।
कर्मचारियों का कहना है कि अब दिल्ली सीमा पर पहरा देने की तैयारी की जा रही है। बहरहाल अब, एक्सपर्ट टीम
आने के बाद इस पर काम किया जाएगा।

लोगो पर हमलावर होने से बढ़ रही परेशानी
बंदर सहित बेसहारा पशुओं के आतंक की शिकायत नगर निगम में बढ़ती जा रही हैं।

गंभीर रूप से लोगों को
जख्मी किए जाने के मामले भी निगम के पास पहुंच रहे हैं। वहीं सांड के हमले में मौत के मामले भी सामने आ

चुके हैं। शहर की गलियों बाजारों में मौजूद बंदर भी अब खतरनाक ढंग से लोगों पर हमलावर हो रहे हैं। पिछले वर्ष
गाँव बडख़ल में सुबह छत पर गए एक बच्चे पर बंदरो ने हमला कर बच्चे की गर्दन में दांत काफी अंदर तक गाड़
दिये थे।

बच्चे को जख्मी हालत में बीके अस्पताल ले जाया गया था।
तीन हजार लोग हर महीने पहुंच रहे अस्पताल

अस्पताल में रैबीज के इंजेक्शन का भी टोटा

बीके अस्पताल में रैबिज का टीका लगवाने के लिए करीब तीन हजार लोग हर महीने अस्पताल पहुंच रहे है। इनमें
कुत्ते के काटे जाने वाले मरीज अधिक है जबकि दूसरे नंबर पर बंदर द्वारा घायल लोग हैं।

मरीज़ों की संख्या बढ़ने
की वजह से अस्पताल में रैबीज के इंजेक्शन का भी टोटा हो जाता है। लोगों का कहना है

कि इससे उनकी परेशानी
बढ़ जाती है। नतीजतन लोगो को निजी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन खरीदकर लाने पड़ते हैं।
निगम के पास नही एक्सपर्ट कर्मचारी

नगर निगम के पास एक्सपर्ट कर्मचारी नही

नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर नितीश का कहना है कि बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम के पास
एक्सपर्ट कर्मचारी नही है। सफाई कर्मचारियों से ही काम लिया जा रहा है।

लेकिन अब एक्पर्ट से बंदरो को
पकड़वाया जाएगा। इसके लिए टेण्डर कर दिए है। बंदर दोबारा आबादी में ना आये

, इसके लिए अरावली में ही उनके
लिए खाने का बन्दोबस्त किया जाएगा, ऐसी योजना बनाई जा रही है।