वैज्ञानिकों ने अरुणाचल प्रदेश में एक नई मकाक (बंदर) प्रजाति की खोज की है। जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया(जेडएसआई) की निदेशक धृति बनर्जी ने कहा कि ‘सेला मकाक’ (मकाका सेलाई) नाम की नई प्रजाति राज्य के पश्चिमी और मध्य भागों में पाई गई है। वैज्ञानिकों ने नमूनों के विश्लेषण में पाया कि यह बंदर आनुवंशिक रूप से क्षेत्र की अन्य प्रजातियों से अलग है।
बनर्जी ने कहा कि नई प्रजाति को तवांग जिले के अरुणाचल मकाक से सेला पास से अलग किया गया है। जेडएसआई के वैज्ञानिक मुकेश ठाकुर ने कहा कि सेला दर्रा ने करीब 20 लाख वर्षों तक दो मकाक प्रजातियों के बीच प्रवास को रोका है। सेला मकाक आनुवंशिक रूप से अरुणाचल मकाक के करीब है।
दोनों प्रजातियों में कई समान शारीरिक विशेषताएं हैं जैसे भारी शरीर और उसपर लंबे बाल। ठाकुर ने कहा कि अरुणाचल मकाक में एक गहरा चेहरा और गहरे भूरे रंग का कोट होता है, जबकि सेला मकाक में एक पीला चेहरा और भूरे रंग का कोट होता है। दोनों प्रजातियों के कुछ झुंड लोगों से अभ्यस्थ हैं, जबकि अन्य लोगों के निकट आने से बचते हैं।
ग्रामीणों ने दावा किया है कि सेला मकाक पश्चिम कामेंग जिले में फसल के नुकसान का एक बड़ा कारण है। नई मकाक प्रजातियों पर अध्ययन मॉलिक्यूलर फाइलोजेनेटिक्स एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।