संवैधानिक शक्तियों का दुरूपयोग
ग्रेटर नोएडा, दादरी तहसील। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही भू माफियाओं एव गंगेस्टरों के विरुद्ध अभियान चला रही हो किन्तु, न्यायव्यवस्था में छुपे सरकारी तंत्र के रूप में कार्यरत माफियाओं से सरकार से कैसे निबटेगी?
एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता भू माफियाओं तथा गंगेस्टर, के श्री चरणों मे शाष्टांग दण्डवत
विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी एव प्राप्त साक्ष्यों से ज्ञात है कि, संवैधानिक शक्तियों से फ़लीभूत, अमरत्व के वरदान से अभिसिंचित, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता भ्र्ष्टाचार के वशीभूत न्यायशास्त्र को गंगा में बहाकर, भू माफियाओं, गंगेस्टरों, के श्री चरणों मे शाष्टांग दण्डवत प्रणाम करते नज़र आ रहे हैं।
विश्वस्त सूत्रों से ज्ञात है कि, तहसील दादरी अधिकारिता क्षेत्रान्तर्गत ग्राम हैबतपुर माजरा की जमीन खसरा संख्या 330 जिस पर अनुभव गुप्ता, आरती देवी, असरफी देवी एव सुरेंद्र यादव आदि वर्ष 2011 से स्वामी और काबिज़ थे, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता ने महज़ 25 लाख रुपये के अनैतिक लाभ हेतु, बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के मात्र अपनी संवैधानिक शक्तियों का दुरूपयोग करते हुये,
विवेक दहिया व रंगा यादव- जिसके विरुद्ध भारतीय दण्ड सहिंता की संगीन धाराओं में थाना मसूरी जिला गाजियाबाद, थाना कवि नगर जिला गाजियाबाद व थाना बिसरख जिला गौतमबुद्धनगर उ0 प्र0 में- 307, 302, 452, 323, 324, 325, 504, 506, तथा गैंगेस्टर अधिनियम की धारा 2/3 व एन एस ए की धारा में दर्जनों अभियोग पंजीकृत है के, पक्ष में कब्जा करवाकर न केवल, कानून के मस्तक पर मानसिक विक्षिप्तता की कील ठोक कर कभी न भरने वाला जख्म दिया है बल्कि, अपने भृष्टाचारी होने का पुख्ता प्रमाण भी दिया है।
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recruitment in civil posts and services in the Government of India
भू माफियाओं तथा गंगेस्टर द्वारा प्राप्त अनैतिक धन ने एसडीएम के पैरों में डाली बेड़ियां
एसडीएम आलोक गुप्ता को विवेक दहिया के पक्ष में आदेश करने में कदाचित 1 कार्य दिवस का भी समय नहीं लगा चूँकि, उन्होंने उत्तर प्रदेश राजस्व अधिनियम 2006, संशोधित अधिनियम 2016 की धारा 24 का सहारा लेते हुये, एक झूँठ प्रार्थना पत्र जिसमे रास्ता का विवाद बताया गया था, के आधार पर कब्जा करवा दिया
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जबकि, उक्त प्रकरण अनुभव गुप्ता आदि बनाम विवेक दहिया एसडीएम न्यायिक के न्यायालय में लम्बित था, इतना ही नहीं पीड़ित पक्ष के लिखित प्रार्थना पत्र पर सालों विचार नहीं किया, जबकि, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता उ0प्र0 राजस्व अधिनियम 2006 की धारा 25 में पुनः जाँच करते हुये, धारा 27 में पुनः स्थिति बहाल कर सकते थे
किन्तु कदाचित, विवेक दहिया एव गैंगेस्टर द्वारा प्राप्त अनैतिक धन ने उनके पैरों में बेड़िया डाल रखी थी, शायद दिमाग़ को जड़ कर दिया था।
बहराल, ऐसे धन लोलुप अधिकारी का प्रशासनिक पद पर पदासीन रहना समाज एव सरकार की सेहत के लिए किस हद तक ठीक है? समाज व सरकार मे विधमान विद्वान स्वयं तय करें।
(वरिष्ठ पत्रकार) डा0वी0के0सिंह की रिपोर्ट