मुख्यमंत्री योगी के गंगेस्टरों एव भू-माफियाओं पर शिकंजे को दादरी एसडीएम ने लगाया पलीता
उत्तर प्रदेश। दादरी तहसील ग्रेटर नोएडा। इन दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गंगेस्टरों भू-माफियाओं पर शिकंजा सख्त तथा नियत स्पष्ट है कि, माफियाओं एव गंगेस्टरों का दाना पानी कम से कम उत्तर प्रदेश से उठ चुका है।
किन्तु, विश्वस्त सूत्रों की माने तो, बिलडोज़र बाबा तो जो कर रहे है, कर ही रहे हैं, दादरी एसडीएम आलोक गुप्ता भी कुछ कम नहीं, आलोक गुप्ता नीति निधान से परे जाकर, गंगेस्टरों भू-माफियाओं की टोली में गुप्त रूप से शामिल होकर, अनैतिक रूप से जमीनों पर कब्जे करवाने का ठेका ही ले लिया है।
एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता की सफाई या प्रशंसा अवर्णनीय है। *दादरी तहसील अधिकारिता क्षेत्र अंतर्गत न्याय की आस में गरीब मजदूर किसान प्रतिदिन जलती धूप एसडीएम दफ्तर के चक्कर लगाते हैं, पर क्या मजाल कि एसडीएम साहब से मुलाकात भी हो जाये,
रही बात टेलीफोनिक अर्थात दूरभाष यानी कि, मोबाइल पर वार्ता की तो, यह कदापि संभव नहीं चूँकि, गुप्ता साहब अपने असूलों के धनी, बिना आर्थिक फायदे के फोन उठाना उनकी शान एव संवैधानिक पद के विरुद्ध है। अब लोगों का क्या है? लोगों का काम है कहना दरअसल, ये गरीब मजदूर किसान हैं ही बेशर्म, रोज ही कचहरी न्याय माँगने पहुँच जाते है
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जबकि, एसडीएम साहब को भेँट देने के नाम पर वही सदियों पुराना मैला पायजामा जिसे हिलाने पर धूल ही निकलती है। भला ऐसे भी कहीं न्याय मिलता है जबकि, एसडीएम साहब अपने असूलों के इतने धनी हैं कि, उन्होंने अपने अर्दली तक को नहीं बक्सा और, बेबाक तौर पर सीधे बोल दिया कि, स्टे चाहिये तो, दे दो पाँच लाख रु0।
अब बात समझने की है जो, बिना सुविधा शुल्क, अपने अर्दली पर दया नहीं कर सकता वह किसी गरीब मजदूर किसानों पर क्या दया करेगा?
वैसे सच कहूँ तो, गरीब मजदूर किसान, गरीब ही नहीं मूर्ख भी है जो कदाचित यह समझता है कि, कानून सबके लिए बराबर है
जबकि, यह सिर्फ एक संवैधानिक बात है, इस देश का इतिहास और सच्चाई तो यह है, *ईमानदार गरीब से भृष्ट, बेईमान पैसे वाला नेता, अधिकारी, गैंगेस्टर व लुटेरा लाख गुणा अच्छा होता है।
किन्तु, ऐसा बिलकुल नहीं है कि, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता बिलकुल निकम्मे हैं और, काम ही नहीं करते हैं, काम करते हैं, विशेष व्यक्तियों के लिये
विशेष कार्य दिवस रविवार, जब एसडीएम दफ्तर या न्यायालय की छुट्टी हो, तब एसडीएम दादरी छुट्टी के दिनों में पूरी सहूलियत से काम होता है।
बहराल, ये कहना गलत है कि, एसडीएम साहब काम नहीं करते है, काम करते हैं बस, हर काम का दाम, दिन और समय सुनिश्चित है।
समूचा लेख विश्वस्त सूत्रों पर आधारित है, सच क्या है एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता की कार्यशैली की उच्च स्तरीय जाँच के बाद ही पता चल सकता है।*
वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वी के सिंह की रिपोर्ट