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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्‍मदिन, 70 साल बाद भारत में चीतों की वापसी बेहद खाश तोफा क्या हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 70 साल बाद चीतों के कदम देश में कैसे पड़ेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्‍मदिन, 70 साल बाद भारत में चीतों की वापसी बेहद खाश तोफा क्या हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क को सौप दिया। 17 सितंबर को नरेंद्र मोदी का जन्मदिन भी है।नामीबिया से 9 हजार किलोमीटर का सफर करके ये चीते मध्य प्रदेश पहुंचे हैं। नामीबिया से पहले ये चीते ग्वालियर एयरपोर्ट पर पहुंचे और वहां से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क ले जाए गए।          अमन पसन्द रंगा यादव के विरुद्ध लगभग 60 अपराधिक मामले?

भारत से विलुप्त हो गए थे। अब 70 साल बाद चीतों की भारत में वापसी हुई है। नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से 5 फीमेल और 3 मेल चीते हैं। इनमें 5 मादा चीतों की उम्र 2 से 5 साल के बीच है, जबकि 3 नर चीतों की उम्र 4.5 साल से 5.5 साल के बीच है।चीता दुनिया का सबसे तेज रफ्तार वाला जानवर, पलक झपकते शिकार इसके जबड़े में होता है और मिनटभर में उनका काम तमाम।

इसी वजह से चीते को शिकार मशीन कहा जाता है।चीता अपने शिकार का पीछा अक्सर 200-230 फीट यानी 60-70 मीटर के दायरे में ही करता है। वो शिकार के करीब आने के इंतजार में छिपा होता है। इसके लिए वो अपने ब्लैक स्पॉट का सहारा लेता है। जहां छुपने की जगह नहीं होती, तो वहां चीता 220 मीटर के दायरे में आते ही शिकार पर हमला कर देता है।

दुनिया में कोई भी ऐसा मामला नहीं आया है, जिसमें चीतों ने इंसान पर हमला किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्‍मदिन, 70 साल बाद भारत में चीतों की वापसी बेहद खाश तोफा क्या हैं

चीता अपने शिकार का पीछा आमतौर पर एक मिनट तक करता है। यदि इस दौरान वो उसे नहीं मार पाता तो उसका पीछा करना छोड़ देता है। वो अपने पंजे का इस्तेमाल कर शिकार की पूंछ पकड़कर लटक जाता है। या तो पंजे के जरिए शिकार की हडि्डया तोड़ देता है।                        CERC Jobs 2022 – 27 Assistant, Deputy Chief पदों के लिए आवेदन करें

अपने शिकार को पकड़ने के बाद चीता तकरीबन 5 मिनट तक उसकी गर्दन को काटता है ताकि वो मर जाए। हालांकि, छोटे शिकार पहली बार में ही मर जाते हैं।फीमेल चीते की जिंदगी काफी मुश्किल होती है। इन्हें औसतन 9 शावकों को अकेले ही पालना होता है। यानी उन्हें हर रोज शिकार करना पड़ता है।

शिकार के दौरान शावकों को खतरनाक जानवरों से बचाने की भी जिम्मेदारी होती है।अरब देशों में चीतों के बच्चों को पालने के लिए खरीदा जाता है। इनकी कीमत 10 हजार डॉलर यानी 8 लाख रुपए तक होती है। ये भी चीतों की तस्करी और खात्मे की बड़ी वजह है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्‍मदिन

PM ने कहा कि “दशकों पहले, जैव-विविधता की सदियों पुरानी जो कड़ी टूट गई थी, विलुप्त हो गई थी, आज हमें उसे फिर से जोड़ने का मौका मिला है. आज भारत की धरती पर चीता लौट आए हैं. और मैं ये भी कहूँगा कि इन चीतों के साथ ही भारत की प्रकृतिप्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जागृत हो उठी है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के कमांडो की घेराबंदी में रहेंगे। आप बिल्कुल ठीक सोच रहे हैं, लेकिन एक बात और है, जो प्रधानमंत्री की सुरक्षा की पूरी गारंटी देती है। वो ये है कि चीते कभी इंसान पर हमला नहीं करते। कूनो नेशनल पार्क के CCF उत्तम शर्मा कहते हैं कि आज तक दुनिया में एक भी ऐसा मामला नहीं आया है, जिसमें चीतों ने इंसान पर हमला किया हो।

भारत में आखिरकार चीतों की आमद भी हो गई है. कभी एशियाई चीतों का घर हुआ करता था भारत, लेकिन बीसवीं सदी के 40वें-50वें दशक तक यह चीते यहां से विलुप्त हो गए. लेकिन 70 साल बाद फिर देश में इनको बसाने की कोशिश हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार, 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रिलीज किया.

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