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शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार की नाकामी को बयां कर रहा ये स्कूल गया जिले का है

बिहार सरकार की नाकामी को बयां कर रहा ये स्कूल गया

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शिक्षा के क्षेत्र में बिहार सरकार की नाकामी को बयां कर रहा ये स्कूल गया जिले के न्यू अबगिला का है। 136 बच्चों वाले प्राथमिक विद्यालय, न्यू अबगिला के हालात ऐसे हैं कि वहां कि शिक्षिकाएं बच्चों को पढ़ाने से ज्यादा उनकी जान की रक्षा करने में जुटी रहती हैं। थोड़ी सी भी लापरवाही से अनहोनी हो सकती है। उन्होंने बताया कि इसके कारण बच्चों को समय से पहले छुट्‌टी भी दे दी जाती है। दरअसल इस स्कूल के आगे 5 फीट का गड्ढा खोद कर छोड़ दिया गया है। इस गड्‌ढ़े में पिछले 3 साल से पानी भरा हुआ है।

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स्कूल की बिल्डिंग बनने के दौरान ही इसकी बाउंड्री भी बनानी थी

इसके कारण मजबूरन बच्चे और शिक्षकों को दूसरों के घरों से होते हुए बिहार स्कूल के पिछले दरवाजे से स्कूल आना-जाना पड़ रहा हैं। दैनिक भास्कर ने जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा अधीक्षक से भी उनका पक्ष जानना चाहा। लेकिन लगातार उनका नंबर नेटवर्क एरिया से बाहर आ रहा है। उक पक्ष मिलते ही हम उसे भी अपडेट करेंगे। स्कूल के प्रिंसिपल मनोज राणा ने दैनिक भास्कर को बताया कि स्कूल की बिल्डिंग बनने के दौरान ही इसकी बाउंड्री भी बनानी थी। इसके लिए उन्होंने मनरेगा के प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी से लेकर जिले में लगातार दो वर्षों से आवेदन कर रहे हैं लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं हो पा रहा है।

अन्य महीनों में भी यहां जल जमाव बना रहता है

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उन्होंने बताया कि स्कूल के ठीक सामने गंगा जल आपूर्ति योजना का प्रोजेक्ट चल रहा है। इसके कारण बरसात के अलावा अन्य महीनों में भी यहां जल जमाव बना रहता है। इसके कारण बच्चों को खेल का मैदान भी मुहैया नहीं हो पा रहा है। दम तोड़ती सरकारी विद्यालत, नाले के पानी में तैरता स्कूल, आधार में लटकी बच्चों की पढ़ाई अब कैसे करेंगे अपने स्कूल का नाम रौशन। यह तस्वीर है राजधानी पटना की जहां पानी में तैरता स्कूल देखिये। साल में छह महीने स्कूल पानी में डूबा रहता है।

बिहार की राजधानी पटना में एक पानी में तैरता सरकारी स्कूल

बिहार में लगातार विकास के दावे किए जाते रहे हैं। लेकिन उसी विकास के दावों की पोल खोल रही है बिहार की राजधानी पटना में एक पानी में तैरता सरकारी स्कूल. आपको बता दें कि राजधानी पटना से महज 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सबलपुर पंचायत के फतेह जंगपुर स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय का यह मामला है। जहां साल में 6 महीने यह प्राथमिक स्कूल पानी में तैरता दिखाई देता है. क्योंकि जब मानसून का समय आता है तो यह स्कूल बारिश के पानी के वजह से डूब जाता है।

अब ऐसे में यहां के ग्रामीण काफी गुस्से में हैं

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हालांकि यहां पढ़ने वाले जितने भी बच्चे हैं उनको स्कूल के पास एक छोटे से बरामदे में ही पढ़ाया जाता है। विद्यालय से संबंधित कई बार शिकायत यहां के स्थानीय लोगों के द्वारा शिक्षा विभाग से की गई। परंतु आज तक इस विद्यालय का जीर्णोद्धार तक नहीं हो पाया। अब बिहार में यहां के ग्रामीण काफी गुस्से में हैं। वह बताते हैं कि बिहार सरकार लगातार दावे करती है कि बिहार में विकास की बयार बह रही है। लेकिन वहीं इस स्कूल की दुर्दशा देखकर सत्ता में बैठे उन लोगों को शर्म तक नहीं आती है।

अब ऐसे में इन छोटे बच्चों का क्या कसूर है

अब ऐसे में इन छोटे बच्चों का क्या कसूर है जो इनको पढ़ने से रोक रही है। इन बच्चों का क्या कसूर है कि इनको पढ़ाई से वंचित रखा जाता है. इसकी जवाबदेहि किसकी है बच्चों के माता पिता की जो अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं पढ़ने के लिए या फिर उनकी जवाबदेहि है जो सत्ता के नशे में चूर होकर बैठे हैं और बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। लापरवाही का आलम केवल यहीं तक नहीं है, बल्कि सरकार की नियमों की भी धज्जियां उड़ाई जा रही है। स्कूल के सामने ही लोग सिगरेट, गुटखा और नशा करते नजर आ जा रहे हैं।

यहां शौचालय है लेकिन उसकी टंकी नही है

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बिहार की दुकानें भी यहां बिना किसी रोक-टोक के सज रहीं हैं। कोटपा एक्ट के तहत स्कूल, सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करने, खुलेआम तंबाकू आदि बेचना पूरी तरह प्रतिबंधित है।स्कूल की बदहाली की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। स्कूल के आगे बीमारी फैलाने वाला झील और सांप–बिछू के डर के बीच इस स्कूल में शौचालय की भी समस्या है। 6 साल से तैयार स्कूल में शौचालय तो है लेकिन वो भी केवल नाम का। इस स्कूल। यहां शौचालय है लेकिन उसकी टंकी नही है। इसके कारण उसमें ताला लटका रहता है।

अब वहां टंकी बनाने का काम शुरू किया गया है। CM नीतीश कुमार की भी नजर स्कूल की इस बदहाली पर नही पड़ी। एक महीना पहले CM नीतीश कुमार खुद इस स्कूल के ठीक आगे गंगा उद्‌भव योजना के तहत यहां वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन करने पहुंचे थे। उन्होंन यहां के पूरे प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया लेकिन उनकी नजर स्कूल की समस्या पर नहीं पड़ी। सीएम के जाने के बाद भी यहां की समस्या जस-की-तस बनी हुई है।

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