Homeदेश की खबरेंयह मेला भारत का एक रंगीन पांरपरिक शिल्प त्योहार है : सूरजकुंड

यह मेला भारत का एक रंगीन पांरपरिक शिल्प त्योहार है : सूरजकुंड

मेला में दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया

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सूरजकुंड क्राफ्ट मेला फरीदाबाद से 36 वें सूरजकुंड इंटरनेशनल क्राफ्ट मेले में बॉलीवुड मशहूर सिंगर मीका सिंह के मंत्र श्री मनोहर लाल खट्टर के प्रोग्राम से पहले दीप जलाकर शुभारंभ मीका का स्वागत किया मुख्यमंत्री ने स्टेज पर आते ही सावन में लग गई आग गाना शुरू कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया आ रही है ।

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आज हजारों की संख्या में बच्चे बूढ़े आदि मेले में आए हुए थे

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आज हजारों की संख्या में बच्चे बूढ़े आदि मेले में आए हुए थे मेले में आज के मुख्य आकर्षण मीका सिंह थे मेले में रिपोर्टर वंदना ठाकुर ने कई स्टोलो पर जाकर उनकी हाथो से बनी हुई वस्तु देखी और कैमरे में कैद की कोलकाता बडही पुर से आए समीर ने बताया कि हम जूट से बने समान पर्स बैग थैला आदि बना कर बेकते है हम बहुत खुश है ।

यहां आकर मेला के अधिकारी हमे बहुत सपोर्ट कर रहे है

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यहां आकर मेला के अधिकारी हमे बहुत सपोर्ट कर रहे है स्टोल नंबर 1057 ने छत्तीसगढ़ से से आदिवासी समाज से है और हम अपनी प्राचीन संस्कृति के हिसाब से ही चलते है हम अपने ही देवी देवताओं को आयरन और पीतल से बने समान की बिक्री कर अपने परिवार का पालन पोसन करते है और जो खुद दिया होता हैं जो आदिवासी सादी में दिया जाता है ।

कॉटन जूट से बना कर सुंदर डिजाइन से तैयार किया जाता है

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अगर खुद दिया ना हो तो सादी नहीं होगी तेलंगाना से आए पित्त रामुलु स्टोल नंबर 309 जो की जूट और कॉटन की दरी बनाते है मेले में आने से बहुत खुश है और सभी अधिकारियों का साधुवाद भी किया रामुलू की दरी बहुत यूनिक है कॉटन जूट से बना कर सुंदर डिजाइन से तैयार किया जाता है ।

मुझे पुराने दिन याद आते है जब हम होटल में काम करते थे

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हरियाणा टोर्डियम होटल मैनेजमेंट फरीदाबाद के फुडकॉर्ड के मैनेजर प्रवीन यादव ने बताया की हम लगभग 20 साल से आप सबकी सेवा करते आ रहे हैं मुझे पुराने दिन याद आते है जब हम होटल में काम करते थे और मुझे बहुत खुशी है की आप लोगो की सेवा का मोका मिलता है इस मेले में।

01 फरवरी से 16 फरवरी तक आयोजित किया जाता है

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सुरजकुण्ड का मेला हर साल फरीदाबाद, हरियाणा में बसंत के दौरान 01 फरवरी से 16 फरवरी तक आयोजित किया जाता है। यह मेला भारत का एक रंगीन पांरपरिक शिल्प त्योहार है जोकि सुरजकुण्ड परिसर में हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित किया हाता है। इस मेले का पहली बार 1987 आयोजित किया गया था।

महक सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की पहचान है

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इस मेले की विशेषता यह है कि इसमें भारत के सभी राज्यों के हस्तशिल्प व कारीगरों द्वारा बनायें समान को एक स्थान पर देखा व खरीदा जा सकता है। यह परंपरा, विरासत और संस्कृति के अद्भुत समन्वय के साथ-साथ माटी की महक सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले की पहचान है।

हर साल एक नये विषय पर आयोजित किया जाता है

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सुरजकुण्ड का मेला हर साल एक नये विषय पर आयोजित किया जाता है व इसके आधार पर ही मेले की साज-सज्जा की जाती है। इस मेले में लोक संगीत का भी आयोजन किया जाता है। सभी राज्य के कलाकार अपने-अपने लोक संगीत का प्रदर्शन करते है। ऐसा कहा जा सकता है कि भारतीय कला, संस्कृति और संगीत को एक ही स्थान पर देखा जाये ।

मेले का पूरा वातावरण संगीतमय व आनंदमय रहता है

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तो वह स्थान सुरजकुण्ड का मेला है। मेले का पूरा वातावरण संगीतमय व आनंदमय रहता है। इस मेले का हिस्सा बनने के लिए भारत से ही नहीं विदेशो से भी कलाकार आते है। मेले में प्रेवश के लिए टिकट निर्धारित किया जाता है। हर साल देश विदेश से लाखों दर्शक मेले का आनन्द लेने के लिए यहा आते है।

अपनी अपनी कला व शिल्पकला का प्रदर्शन करते है

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इस मेले के आयोजन का मुख्स उद्देश्य भारत की परंपरागत व रीति-रिवाजों को कायम रखाना है और इस परंपरा को मेले में आये दर्शकों का अवगत कराना है। भारत के सभी राज्यों के आये कलाकार व कारीगर अपनी अपनी कला व शिल्पकला का प्रदर्शन करते है।

रोजी-रोटी कमाने का एक अच्छा स्थान बन गया है

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सुरजकुण्ड मेला सैंकड़ों शिल्पियों के लिये रोजी-रोटी कमाने का एक अच्छा स्थान बन गया है जहां वे अपनी कला और शिल्प के राष्ट्रीय मंच के प्रदर्शन से अन्य रास्ते भी खुलते हैं। इसलिये वे अपनी कलाओं और शिल्पों के बेहतरीन नमूने लाते हैं और उन्हें मेले में प्रदर्शित करते हैं। मेले से नियार्तकों और खरीददारों को वार्षिक मिलन का भी अवसर मिलता है।

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यहां किसी विचैलिये के बिना शिल्पकार और निर्यातक आमने-सामने होते हैं। इससे शिल्पकारों को अपनी कला क्षेत्र का विस्तार करने और उसमें सुधार करने का सीधा मौका मिलता है।

सूरजकुंड से वंदना ठाकुर की रिपोर्ट

PM shares Lopoli Melo’s article ‘A day in the Parliament and PMO’

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