Homeस्वास्थ्य की खबरेंशंख की ध्वनि से मांसपेशियां एक्टिव होती हैं,मानसिक तनाव घटता है

शंख की ध्वनि से मांसपेशियां एक्टिव होती हैं,मानसिक तनाव घटता है

शंख की ध्वनि से मांसपेशियां एक्टिव होती हैं

शंख

शंख की ध्वनि से एक विशेष वेवलेंथ और फ्रिक्वेंसी होती है। जब इसे बजाते हैं तो हमारे शरीर और मन-मस्तिष्क पर सकारात्मक असर पड़ता है।थॉयराइड और अस्थमा के रोगियों को इससे राहत मिलती है। थॉयराइड में हार्मोन सेक्रेशन पर नियंत्रण होता है। इसे फूंकने में सांस लेने और छोड़ने से हमारे फेफड़े की मांसपेशियां काफी एक्टिव होती हैं।इससे फेफड़ा फैलता है।दिल्ली के पल्मनोलॉजिस्ट डॉ. आरके यादव बताते हैं कि किसी भी तरह का म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट जब बजाते हैं तो इससे हमारे फेफड़े फैलते हैं।यानी फेफड़े में ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने की प्रक्रिया बेहतर होती है।

शंख की ध्वनि से मानसिक तनाव घटता है

गैस एक्सचेंज सेंटर में जो कमियां होती हैं वो दूर होती हैं।उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड आईपीएस ऑफिसर राजीव शर्मा ने बताया है कि इसे बजाना मानव शरीर और मस्तिष्क के लिए एक यूनिक एक्सरसाइज है। इससे प्रोस्ट्रेट, यूरिनरी ट्रैक्ट, फेफड़ा, छाती और गर्दन की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसकी ध्वनि से न केवल मानसिक तनाव घटता है बल्कि मेडिटेशन में भी मदद मिलती है।जब इसे बजाया जाता है तब हम सांस लेते हैं छोड़ते हैं। इस प्रक्रिया में लंग्स, स्टोमेक और नाभि का एरिया अंदर की ओर पुश होता है। एब्डोमन की मांसपेशियों में खिंचाव आता है।

शंख में 100 प्रतिशत कैल्शियम होता है

शंख

 

साथ ही रेक्टल मसल्स भी स्ट्रेच होता है।सांस लेने और छोड़ने से नाभि का एरिया भी फैलता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इसे बजाने के समय ब्लड का फ्लो सिर और ब्रेन की तरफ होता है।डॉ. इंद्र बली मिश्रा बताते हैं कि इसमें 100 प्रतिशत कैल्शियम होता है। मंदिरों में या ऐसे भी घरों में रात में इसमें जल भरकर रखा जाता है। इससे पानी में कैल्शियम घुल जाता है। इस पानी को सब पर छिड़का जाता है।जब शरीर पर यह पानी जाता है तो आसपास मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। यह पानी पीने से तो और लाभ होता है।

असली शंख की पहचान जरूरी है

शंख

 

शरीर को अतिरिक्त कैल्शियम मिलता है।गुजरात के टेक्सटाइल सिटी सूरत में शंख ध्वनि क्लब चलाने वाले भरत शाह ने एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम है ‘शंखनाद’।भरत सूरत म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन से रिटायर्ड इंजीनियर हैं। हर दिन सुबह में खास समय पर उनके साथ दर्जनों लोग इसे बजाते हैं। उन्होंने 10 हजार से अधिक लोगों को अब तक इसे बजाने की ट्रेनिंग दी है।आजकल बाजार में नकली शंखों की भरमार है। बनावटी भी मिलते हैं। इसलिए असली शंख की पहचान करना जरूरी है।

उपराष्ट्रपति चुनाव में भी मायावती विपक्ष के खिलाफ, जगदीप धनखड़ को वोट देगी बीएसपी

असली शंख की ध्वनि शंख के भीतर गूंजते रहती है

जब इसे खरीदने जाएं तो शांत जगह पर बजाकर देखें।देखें कि बजाने में बहुत जोर तो नहीं लगाना पड़ रहा। बजाने के बाद तुरंत कान के पास ले जाएं। अगर असली है तो इसकी ध्वनि शंख के भीतर गूंजते रहती है।असली शंख है तो यह पानी के ऊपर आ जाता है। हालांकि आजकल बाजार में मिल रहे नकली शंख भी पानी में ऊपर आ जाते हैं।पहले के समय में इसे अनाज में रखने की बात कही जाती थी। अनाज में इसे अंदर डालने पर यह ऊपर आ जाता है। लेकिन यह बहुत साइंटिफिक नहीं है।असली तो अपनी ध्वनि से ही पहचाना जाता है।

पांचजन्य शंख को सबसे बेस्ट माना गया है

शंख

बनावटी शंख की ध्वनि में इरीटेशन वाली आवाज होती है जैसे चरचराहट की आवाज आना।भगवद गीता में भी पांचजन्य के बारे में बताया गया है।सभी तरह के शंखों में पांचजन्य को सबसे बेस्ट माना गया है।एक कहानी यह है कि भगवान कृष्ण ने पंचजन्य  निकाला और ऋषि ध्रुव के कान के पास रखा। इससे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई।पंचजन्य में पांच पार्ट होते हैं इसे सिंहानुसा कहते हैं। यह साइज में काफी बड़ा होता है। महाभारत में भी युद्ध के पहले और शाम में समाप्त होने के पहले पंचजन्य से शंखनाद किया जाता था।

शंख से निकली ध्वनि खगोलिया ऊर्जा से मिलती है

वो कहते हैं कि पंचजन्य में ऊं की ध्वनि होती है।इसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं।पुराणों में माना गया है कि  इसकी आकृति और पृथ्वी की संरचना लगभग समान है। नासा के शोध में भी बताया गया है कि इससे निकली ध्वनि खगोलिया ऊर्जा से मिलती है।इससे रोगाणु मरते हैं। नई ऊर्जा का संचार होता है। वो कहते हैं सुबह और शाम सूर्य की किरणें तेज नहीं होतीं। इस दौरान इसे बजाने का असर होता है। वायुमंडल में जो कीटाणु होते हैं वो नष्ट हो जाते हैं।

शंख बजाने से साइकोलाॉजिकल वाइब्रेशंस निकलते हैं

शंख

 

वास्तव में पृथ्वी की कॉस्मिक एनर्जी या नेचुरल वाइब्रेशन इसमें प्रवेश करने पर मैग्निफाइड हो जाती है जब इसको आप अपने कान के पास ले जाएंगे और ध्यान से सुनेंगे तो इसमें बहुत धीरे-धीरे वैसी ही ध्वनि सुनाई पड़ती है जैसे समुद्र की लहरें हौले-हौले आ रही हों।इससे साउंड वाइब्रेशन होता है। यह वातारण में फैले प्रदूषण को भी कम करता है। इसे बजाने से साइकोलाॉजिकल वाइब्रेशंस निकलते हैं जिससे व्यक्ति में डिटरमिनेशन और विलपावर बढ़ता है।

Director Finance Jobs in IOCL 2023 Careers

 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments