
प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को याद किया

भारत अपने संतों और ऋषियों के अमर विचारों व दर्शन के कारण दुनिया की सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है। भारत की सेवा भावना बिना किसी शर्त के स्वार्थ से परे और निस्वार्थता से प्रेरित है। यह सिद्धांत आज देश के शासन का मार्गदर्शन करता है। जैन आध्यात्मिक गुरु आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज की जयंती के शताब्दी समारोह में पीएम मोदी ने कहा, भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो सेवा से परिभाषित है>>>Visit: Samadhanvani
पीएम मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज की एक उक्ति को याद करते हुए कहा कि जीवन तभी सच्चा आध्यात्मिक बनता है जब वह निस्वार्थ सेवा का माध्यम बन जाता है। यह विचार जैन दर्शन के सार में गहराई से निहित है और भारत की भावना से आंतरिक रूप से जुड़ा हुआ है। पीएम ने कहा, भारत एक ऐसा राष्ट्र है जो सेवा से परिभाषित है और मानवता से निर्देशित है। जब दुनिया ने सदियों तक हिंसा को हिंसा से दबाने की कोशिश की, तब भारत ने दुनिया को अहिंसा की शक्ति से परिचित कराया। भारतीय लोकाचार ने हमेशा मानवता की सेवा की भावना को सबसे ऊपर रखा है।
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जैन गुरु पर डाक टिकट जारी करते पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से सम्मानित किया गया। पीएम मोदी ने कहा, आपने मुझे जो यह उपाधि से सम्मानित किया है, मैं खुद को इसके लिए उपयुक्त नहीं मानता। लेकिन यह हमारी संस्कृति है कि संतों से हमें जो कुछ भी मिलता है, हम उसे प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं। इसलिए, मैं विनम्रतापूर्वक इस प्रसाद को स्वीकार करता हूं और इसे मां भार ती को समर्पित करता हूं।जैन गुरु पर डाक टिकट जारी करते पीएम।ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते ही बजने लगीं तालियां।
प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए जैसे ही ये कहा कि जो हमें छेड़ेगा, तो वहां मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां बजानी शुरू कर दीं। हालांकि मोदी ने इस बारे में और अधिक बात नहीं की। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन से पहले दिए गए एक जैन संत के संबोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि वह ऑपरेशन सिंदूर को आशीर्वाद दे रहे थे।
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