
शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने से हाईकोर्ट ने किया इन्कार

हिंदू पक्ष की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को दस्तावेज में विवादित ढांचा लिखने का निर्देश देने से इन्कार कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा, दलीलों में विचाराधीन संरचना को शाही मस्जिद ईदगाह के रूप में संदर्भित किया गया है। मुद्दे अभी तय नहीं किए गए हैं। सुनवाई भी शुरू होनी है। इस स्तर पर यह उचित नहीं है कि स्टेनोग्राफर को निर्णयों या आदेशों में ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा लिखने का निर्देश दिया जाए। यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग वाली हिंदू पक्ष की अर्जी ठुकरा दी।>>>Visit: Samadhanvani
जस्टिस राममनोहर नारायण मिश्रा की पीठ शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह परिसर विवाद मामले की सुनवाई कर रही थी। ठाकुर केशवदेव जी महाराज मंदिर, कटरा केशवदेव बनाम इंतजामिया श्रीकृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है। वादी पक्ष ने याचिका में कहा, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में मथुरा की जेल में हुआ था। शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के परपोते ब्रजनाथ ने उनके जन्मस्थान पर मंदिर का निर्माण कराया था।यह भी पढ़ेंउप सेना प्रमुख बोले, चीन ने पाकिस्तान को हथियार व सूचनाएं दीं
आदेश को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती : हिंदू पक्ष
औरंगजेब ने 1669 में उसे क्षतिग्रस्त कर दिया। दावा है कि उसी स्थान पर ईदगाह मस्जिद बनाई गई। वादियों ने मस्जिद के ढांचे को ध्वस्त करने और इसका नियंत्रण न्यायालय की ओर से निर्धारित प्राधिकरण को सौंपने की भी मांग की थी।मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता नासिरुज्जमां, तस्नीम अहमदी, महमूद प्राचा, डब्ल्यू.एच. खान और तनवीर अहमद ने वादी के आरोपों का खंडन किया। दलील दी कि 12 अक्तूबर, 1968 का समझौता सही है। शाही मस्जिद ईदगाह एक वक्फ संपत्ति है और 400-500 वर्षों से उसी स्थिति में है। मौजूदा वाद पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत वर्जित है। विवादित ढांचा घोषित किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि वादियों ने स्वयं अपने वाद में शाही ईदगाह मस्जिद लिखा हुआ है।हाईकोर्ट के आदेश का वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साथ बारीकी से अध्ययन करने के बाद सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती दी जाएगी। इस फैसले से मूल वाद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुकदमा चलता रहेगा। अगली सुनवाई 18 जुलाई को होनी है।