
गाजियाबाद में यमुना के बाढ़ वाले इलाके में बढ़ते अवैध खनन से जुड़ा मामला

यमुना अवैध खनन मामले में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश और दिल्ली में यमुना में अवैध खनन गतिविधियों पर अंकुश दाने के लिए कड़े कदम उठाते हुए संबंधित अधिकारियों को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को खनन गतिविधियों की निगरानी के लिए संयुक्त अंतर-राज्यीय कार्यबल में अधिकारियों के नामांकन पर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। कार्यबल को संयुक्त दौरे करने, बैठकें आयोजित करने और सुनवाई से एक दिन पहले बैठकों के कार्यवृत्त व अवैध खनन रोकने के लिए की गई कार्रवाइयों की रिपोर्ट जमा करने को कहा है। इन रिपोटों को संबंधित जिलाधिकारियों, दिल्ली और उत्तर प्रदेश सरकार की वेबसाइटों पर अपलोड करना अनिवार्य होगा। सुनवाई की अगली तारीख 29 अक्तूबर को सूचीबद्ध की है।>>>Visit: Samadhanvani
पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के भूविज्ञान व खनिकर्म

विभाग के सचिव ने मुख्य सचिव की ओर से 9 अक्तूबर को ईमेल के माध्यम से हलफनामा दाखिल किया। पीठ ने जिला खनन अधिकारी को निर्देश दिया कि वे प्रतिवादी द्वारा एनजीटी के 30 अप्रैल के आदेश के अनुतन पर अपना हलफनामा दाखिल करें। यह हलफनामा सुनवाई की तारीख से कम से कम एक दिन पहले एसएसएमजी 2016 (सस्टेनेबल सैंड माइनिंग मैनेजमेंट गाइडलाइंस) और ईएमजीएसएम 2020 = (एनफोर्समेंट एंड मॉनिटरिंग गाइडलाइंस फॉर सैंड माइनिंग) के अनुपालन के सभी विवरणों सहित जमा करना होगा। यह मामला उत्तर: दिल्ली के अलीपुर और गाजियाबाद के पंचायरा के बीच यमुना के बाढ़ वाले इलाके में बढ़ते अवैध खनन से जुड़ा है। इलाके में रेत माफिया यमुना नदी पर अस्थायी सड़कें बना रहे हैं। इससे उन्हें खनन करने वाली मशीनों को ले जाने और बाढ़ के समय रेत निकालने में मदद मिलती है। ये सड़कें अक्सर लकड़ी के तख्तों और रेत की बोरियों से बनाई जाती हैं। यह तरीका नदी के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचा रहा है। यह सब लंबे समय से चले आ रहे एक चलन का हिस्सा है, जिसमें बनाई गई अवैध सड़कें मानसून की बाढ़ में बह जाती हैं और अगले साल फिर से बनाई जाती हैं।



