एबीजी शिपयार्ड कंपनी द्वारा 22,842 करोड़ रु. के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। दरअसल, यह केस 2018 में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल अहमदाबाद के सामने आया था। तब देना बैंक, ICICI बैंक और SBI की 3 अलग-अलग शिकायतों पर 3 अलग-अलग फैसले दिए गए थे।
अगर रिकवरी न हो पाए तो कंपनी की चल-अचल संपत्ति बेचकर वसूली की जाए। मगर किसी न किसी कारण से बैंक ऐसा नहीं कर सके। नतीजतन, यह मामला बढ़ते-बढ़ते एसबीआई डीजीएम बालाजी सामंथा के पास पहुंचा। सामंथा ने 25 अगस्त 2020 को सीबीआई में इसकी लिखित शिकायत की।
एबीजी को 1400 रु./वर्ग मी. की जमीन 700 रु./वर्ग मी. में दी गई
{2007 में आई कैग रिपोर्ट में कहा गया था कि एबीजी को उसी साल अक्टूबर में 1.21 लाख वर्ग मी. जमीन 700 रु. में दी गई। जबकि कीमत 1400 रु. वर्ग मी. थी जिससे राज्य सरकार को 8.46 करोड़ का घाटा हुआ।
सरकार ने दावा किया था कि 2010 में गुजरात मेरीटाइम बोर्ड और एबीजी के बीच मेरीटाइम ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट को लेकर करार हुआ था। इसीलिए रियायती दर पर जमीन दी गई थी।