1.मारुति सुजुकी फिर नए अवतार में
मारुति सुजुकी फिर नए अवतार में ऑल्टो K10 को पेश करने की तैयारी में है, जिसे मार्च 2020 में बंद कर दिया गया था। फिलहाल इस कार का कोडनेम Y0M है। कंपनी का प्लान एंट्री-लेवल हैचबैक सेगमेंट में अपनी हिस्सेदारी को और मजबूत करने का है।
रिपोर्ट के अनुसार ऑल्टो K10, जिसका इंजन 998 सीसी है, इसे फिर से पेश किया जा रहा है क्योंकि कंपनी को लगता है कि इस सेगमेंट उसके लिए मुकाबला कड़ा नही है। अभी इस एंट्री-लेवल हैचबैक सेगमेंट में मारुति सुजुकी की अपनी एस-प्रेसो के अलावा सिर्फ एक और एंट्री-लेवल हैचबैक रेनॉल्ट क्विड ही मौजूद है।
एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी के एसोसिएट डायरेक्टर, लाइट व्हीकल फोरकास्टिंग, गौरव वंगल ने एक निजी अखबार को बताया कि एंट्री-लेवल हैचबैक का मौजूदा मार्केट शेयर (7.8%) है जो एक नए मॉडल को लाने के लिए काफी बड़ा है।
FY22 में, Maruti Suzuki ने Alto और S-Presso की 211,762 गाड़ियों को बेचा, और Renault ने Kwid की 26,535 गाड़ियों को बेचा, जिससे एंट्री-लेवल हैचबैक 250,000 गाड़ियों का मजबूत बाजार बना।
लगभग 20 सालों में 4.3 मिलियन गाड़ियों के साथ, मारुति सुजुकी ऑल्टो बिक्री के मामले में भारत की सबसे अधिक बिकने वाली कार है। 2000 में लॉन्च की गई, ऑल्टो की पहली पीढ़ी 2012 तक जारी रही, जब इस दौरान कार की 1.8 मिलियन यूनिट बेची गईं थी।
इस समय यह दो इंजन ऑप्शन में आती थी। 1,061 सीसी जिसे उसने वैगन आर के साथ साझा किया और 796 सीसी जिसे उसने मारुति 800 के साथ साझा किया। 2005 में, ऑल्टो ने मारुति 800 को भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली कार के रूप में देखा, यह स्थिति 2018 तक बनी रही।
ऑल्टो K10 को कंपनी ने 2010 में लॉन्च किया गया था। इसमें 998-सीसी इंजन था और इस कार की मार्च 2020 में बंद होने तक 880,000 यूनिट्स की बिक्री हुई थी।
अक्टूबर 2012 में, दूसरी जनरेशन की ऑल्टो को एक नए नाम, ऑल्टो 800 के साथ लॉन्च किया गया था। यह मारुति 800 के लिए भी एक प्रतिस्थापन था जिसे अंततः 2014 में चरणबद्ध किया गया था। अब तक इसकी 1.63 मिलियन से अधिक इकाइयां बिक चुकी हैं।
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2.मारुति अपनी गाड़ियों में इस्तेमाल करेगी ये नई टेक्नोलॉजी
मारुति अपनी गाड़ियों में नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने जा रही है। इससे ग्राहकों को बड़ा फायदा होने वाला है। दरअसल ग्रीन टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देते को लेकर मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) ने अपने मॉडलों में मजबूत हाइब्रिड टेक्नोलॉजी को अपनाने को लेकर प्लान कर रही है।
कंपनी के एक अधिकारी ने यह जानकारी देत हुए कहा कि इस लक्ष्य को अगले 5-7 सालों में हासिल किया जाएगा। कंपनी का लक्ष्य अपने प्रत्येक मॉडल में इंवायरमेंट को नुकसान ना पहुंचे ऐसी टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देना है, ताकि बेहतर फ्यूल एफिशिएंसी और कम कार्बन एमिशन को हासिल किया जा सके।
ग्रीन टेक्नोलॉजी
कंपनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों, सीएनजी कारों और एथनॉल तथा बायो-सीएनजी वाले इंजन पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने को प्राथमिकता देगी। एमएसआई के मुख्य तकनीकी अधिकारी सी वी रमन ने से कहा, ”अगले पांच से सात वर्षों में हर मॉडल में (ग्रीन टेक्नोलॉजी का) कोई न कोई तत्व होगा। पूरी सीरीज में कोई सिर्फ पेट्रोल पावरट्रेन नहीं होगी।”
उन्होंने कहा कि कंपनी आने वाले समय में कई मॉडलों के लिए मजबूत हाइब्रिड टेक्नोलॉजी की तलाश कर रही है। रमन से जब पूछा गया कि क्या सभी मॉडलों में मजबूत सेल्फ-चार्जिंग हाइब्रिड पावरट्रेन होंगे, तो उन्होंने कहा, ”हम निश्चित रूप से उस ऑप्शन पर गौर करेंगे।”
रमन ने कहा कि इस समय देश में पर्याप्त चार्जिंग अवसंरचना के अभाव में, शुद्ध रूप से बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर बदलाव के चरण में हाइब्रिड प्रौद्योगिकी सबसे सही है।
यह पूछने पर कि क्या हाइब्रिड वाहनों को भी बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की तरह कर लाभ मिलना चाहिए, रमन ने कहा, ”इसे (हाइब्रिड प्रौद्योगिकी) इसका बकाया हक (कराधान के संदर्भ में) मिलना चाहिए।” देश में हाइब्रिड वाहनों पर कुल कर 43 प्रतिशत है, जबकि बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों पर लगभग पांच प्रतिशत कर लगता है।
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