भारत के राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (16 फरवरी, 2025) नई दिल्ली में सार्वजनिक पितृ उत्सव ‘Aadi Mahotsav’ की शुरुआत की।
Aadi Mahotsav पैतृक विरासत
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आदि महोत्सव पैतृक विरासत को प्रदर्शित करने और आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस तरह के समारोह पैतृक समाज के व्यापारियों, कलाकारों और विशेषज्ञों को बाजार से जुड़ने का एक बड़ा अवसर प्रदान करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि पैतृक समाज की कलाकृतियाँ, भोजन, पोशाक और श्रृंगार, चिकित्सा पद्धतियाँ, पारिवारिक उपकरण और खेल हमारे देश की अमूल्य विरासत हैं। साथ ही, वे आधुनिक और तार्किक भी हैं क्योंकि वे प्रकृति और व्यवहार्य जीवन शैली की मान्यताओं के साथ एक प्राकृतिक सामंजस्य दिखाते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। आदिवासी विकास बजट को तीन गुना बढ़ाकर लगभग एक लाख 25 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है। इसके अलावा आदिवासी कल्याण बजट को तीन गुना बढ़ाकर लगभग 15 हजार करोड़ रुपए कर दिया गया है।
आदिवासी समाज के विकास
आदिवासी समाज के विकास पर विशेष ध्यान देने के पीछे मूल विचार यह है कि जब आदिवासी समाज आगे बढ़ेगा, तभी हमारा देश भी वास्तविक रूप से आगे बढ़ेगा।
यही कारण है कि आदिवासी समाज के प्रति गहरी आस्था बढ़ाने के साथ-साथ आदिवासी समाज के विकास के लिए भी तेजी से बहुआयामी प्रयास किए जा रहे हैं।

राष्ट्रपति को इस बात पर खुशी हुई कि आदिवासी समाज के आर्थिक विकास और रोजगार की दिशा में काफी प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी समाज के विकास में शिक्षा की अहम भूमिका होती है।
आदिवासी सेवा संस्थान
उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि देश में 470 से अधिक एकलव्य मॉडल निजी स्कूलों के माध्यम से लगभग 1.25 लाख आदिवासी बच्चे स्कूली शिक्षा में मदद कर रहे हैं।
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पिछले 10 वर्षों में आदिवासी क्षेत्रों में 30 नए मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए हैं। आदिवासी समाज की ताकत से जुड़ी एक विशेष समस्या से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय मिशन शुरू किया गया है। इस मिशन के तहत 2047 तक सिकल सेल बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है।

आदिवासी सेवा संस्थान द्वारा 16 से 24 फरवरी, 2025 तक मेजर ध्यानचंद पब्लिक एरिना, नई दिल्ली में आदि महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस उत्सव का उद्देश्य हमारे देश के आदिवासी समुदायों की समृद्ध और विविध पारंपरिक संस्कृति पर एक संक्षिप्त नज़र डालना है।