rashiphal 10

बारादरी में दनकौरी, गुलशन, गौहर, नाज़ संग सजी तरानों की महफ़िल

बारादरी

विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित महफिल ए बारादरी को संबोधित करते हुए जाने-माने शायर शहपर रसूल ने कहा कि गाजियाबाद के फनकारों ने इस मशीनी शहर की रुह को शायरी बना दिया है। “उसने सैलाब की तस्वीर बना कर भेजी थी, उसी कागज से मगर नाव बना दी मैंने” : शहपर रसूल उन्होंने कहा कि यह वह शहर है जहां फनकारों के नाम पर बाकायदा एक मोहल्ला कवि नगर भी मौजूद है। अपने खास शेर “मैंने भी देखने की हद कर दी, वह भी तस्वीर से निकल आया” पर उन्होंने जमकर दाद बटोरी। उनके शेर “महफिल में जब से उसने पुकारा हमारा नाम, दुश्मन बना हुआ है

रुद्राक्ष की उत्पत्ति भोलेनाथ के आंसूओं से हुई

सर झुका कर जो मुझे पत्थरों पर चलना आ गया

WhatsApp Image 2023 03 14 at 10.48.10 AM

हमारा, हमारा नाम। तुमको पुकारते हैं, हमें देखते हैं लोग, जैसे एक ही हो तुम्हारा हमारा नाम” भी काफी सराहे गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. शाहपुर रसूल ने कौमी एकता की पैरवी करते हुए कहा “बद्दुआ उसने मुझे दी थी दुआ दी मैंने, उसने दीवार उठाई थी गिरा दी मैंने। उसने सैलाब की तस्वीर बनाकर भेजी थी, उसी कागज से मगर नाव बना दी मैंने।” कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार ‘नाज़’ की पंक्तियों “रोशनी के वास्ते धागे को जलते देख कर, ली नसीहत मोम ने उसको पिघलना आ गया। शुक्रिया बेहद तुम्हारा शुक्रिया ए पत्थरों, सर झुका कर जो मुझे पत्थरों पर चलना आ गया।

महफ़िल ए बारादरी के अध्यक्ष गोविंद गुलशन ने कहा

WhatsApp Image 2023 03 14 at 10.48.10 AM 1

पहले बचपन, फिर जवानी, फिर बुढ़ापे के निशान, उम्र को भी देखिए कपड़े बदलना आ गया” पर भी खासी दाद मिली। महफ़िल ए बारादरी के अध्यक्ष गोविंद गुलशन ने कहा “यह आसपास मेरे कौन शब गुजारता है, अगर मैं ख्वाब में जाऊं मुझे पुकारता है। कभी जो भीड़ की आंखों से मैं गुजर जाऊं, वह बार-बार नजर से नजर उतारता है।” कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दीक्षित दनकौरी ने “मुझे भी सर झुकाना चाहिए था, मुझे पहले बताना चाहिए था। तड़पता देख कर बोला शिकारी, निशाना चूक जाना चाहिए था” पर दाद बटोरी महफ़िल ए बारादरी की संरक्षिका

सदा ए दिल थी जिसे पा के खुल गईं आंखें

WhatsApp Image 2023 03 14 at 10.48.11 AM

डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ ने अपनी ग़ज़ल के शेरों “और होंगे जो शान से गुज़रे, हम जो गुज़रे तो जान से गुज़रे। उस तरफ़ ख़तरे घूमा करते हैं, उससे कहना कि ध्यान से गुज़रे। तुम बसे थे मिरे फ़सानों में, फिर ये आहट है किसकी कानों में। “सच्चा लगता है हर बहाना भी, कितने माहिर हो तुम बहानों में” के जरिए दाद बटोरी। कार्यक्रम की शुरूआत तुलिका सेठ की सरस्वती वंदना से हुई। कार्यक्रम का संचालन तरुणा मिश्रा ने किया। उनकी ग़ज़ल के शेर “किसी की आह से टकरा के खुल गईं आंखें, सदा ए दिल थी जिसे पा के खुल गईं आंखें। उखड़ रहे थे मेरी क़ब्र के सभी पत्थर, अजीब ख़्वाब था घबरा के खुल गईं आंखें” भी सराहे गए।

आपको क्यों यह लगा दाल आपकी है जनाब

WhatsApp Image 2023 03 14 at 10.48.12 AM

सुरेंद्र सिंघल ने चिरपरिचित अंदाज में कहा “कहता कुछ है यहां हर शख्स, तो करता कुछ है, शायद इस शहर के पानी में ही ऐसा कुछ है। आपको क्यों यह लगा दाल आपकी है जनाब, जब कहा मैंने यहां दाल में काला कुछ है।” गार्गी कौशिक ने कहा “चुप न रहती तो और क्या करती, हक नहीं था के फ़ैसला करती। महफ़िल में डॉ. तारा गुप्ता, रवि पाराशर, डॉ. वीना मित्तल, वागीश शर्मा, सुभाष अखिल, राजीव सिंघल, ओमपाल सिंह ‘खलिश’, सोनिया सोनम ‘अक्स’, आशीष मित्तल, डॉ. अमर पंकज,

“स्त्री” को केंद्र में रखकर सुनाई गई रचनाएं भी भरपूर सराही गईं

WhatsApp Image 2023 03 14 at 10.48.14 AM

गार्गी कौशिक, संजीव शर्मा, मनीषा शर्मा, राजीव कामिल, डॉ. सुधीर त्यागी, देवेन्द्र कुमार शर्मा ‘देव’, अनिमेष शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, इंद्रजीत सुकुमार की रचनाओं के अलावा ईश्वर सिंह तेवतिया की “पिता” व सुभाष चंदर की “स्त्री” को केंद्र में रखकर सुनाई गई रचनाएं भी भरपूर सराही गईं। इस अवसर पर आलोक यात्री, तेजवीर सिंह, राखी अग्रवाल, कुलदीप, आर. के. मिश्रा, राकेश सेठ, पंडित सत्यनारायण शर्मा, विष्णु कुमार गुप्ता, दीपा गर्ग, संजय भदौरिया, वीरेंद्र सिंह राठौर, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, धनंजय वर्मा, प्रज्ञा मित्तल, आर. के. गोयल, शशिकांत भारद्वाज, रामप्रकाश गौड़, शकील अहमद,

WhatsApp Image 2023 03 14 at 10.48.13 AM

आभा बंसल, रिजवाना शहपर, जावेद खान सैफ, एच. आर. सिंह, राजेश कुमार, ओंकार सिंह, प्रताप सिंह, रवि शंकर पांडे सहित कई साहित्य प्रेमी मौजूद थे।