Department of Animal Husbandry & Dairying:पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी), मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी सेवा, भारत के विधानमंडल और मेजबान राज्य पंजाब ने “दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के राज्य और क्षेत्र नोडल अधिकारियों (एसएनओ/डीएनओ) के लिए प्रोग्रामिंग (पोर्टेबल और वेब एप्लिकेशन/डैशबोर्ड) और नस्लों पर 21वीं पालतू पशुओं के आंकड़ों की क्षेत्रीय तैयारी” का नेतृत्व किया।
Department of Animal Husbandry
Department of Animal Husbandry & Dairying:स्टूडियो का आयोजन आज अमृतसर, पंजाब में इन राज्यों के राज्य/स्थानीय नोडल अधिकारियों को हाल ही में भेजे गए पोर्टेबल और वेब एप्लिकेशन पर तैयार करने के लिए किया गया था, जो सितंबर-दिसंबर 2024 के दौरान बुक किए गए 21वें पशु सांख्यिकी का निर्देशन करने के लिए है।
श्री जगत हजारिका, सलाहकार (सांख्यिकी), पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार की उपस्थिति में, मुख्य अतिथि श्री गुरमीत सिंह खुद्डियन, पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विकास मंत्री, भारत सरकार, श्री वी.पी. सिंह, एएचएस, डीएएचडी और भारत सरकार के निदेशक, बी पी मिश्रा और पंजाब सरकार में एएचडी के निदेशक डॉ. गुरशरण सिंह बेदी।
समारोह की शुरुआत
समारोह की शुरुआत सार्वजनिक भजन और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। श्री गुरमीत सिंह खुद्डियन ने स्टूडियो का संचालन किया तथा जमीनी स्तर पर गहन तैयारी तथा सीमित कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था तथा खाद्य सुरक्षा के लिए पशु क्षेत्र के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने गणना की सावधानीपूर्वक तैयारी तथा क्रियान्वयन का आह्वान किया, तथा इस बात पर जोर दिया कि एकत्रित जानकारी भविष्य की योजनाओं को आकार देने तथा क्षेत्र में कठिनाइयों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। श्रीमती अलका उपाध्याय ने 21वीं पशुधन गणना के लिए वर्चुअल बधाई तथा शुभकामनाएं भेजीं।
उन्होंने पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है तथा पशुधन क्षेत्र के उत्पादों के वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति के बारे में जानकारी दी। श्री जगत हजारिका, परामर्शदाता (मापन), पशुपालन एवं डेयरी शाखा ने अपने स्थान पर इस स्टूडियो के महत्व पर प्रकाश डाला, तथा सटीक तथा उत्पादक जानकारी संग्रह के लिए नवाचार का उपयोग करने के लिए विभाग के दायित्व पर प्रकाश डाला।
21वीं पशुधन गणना की सफलता सुनिश्चित
उन्होंने 21वीं पशुधन गणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया, जिसका पशुपालन क्षेत्र की भविष्य की नीतियों तथा कार्यक्रमों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, तथा उन्होंने ऐसा करने के लिए नवीनतम तकनीकों का उपयोग करने का आग्रह किया।
अपने स्थान पर, पशुधन उद्योग में डॉ. गुरशरण सिंह बेदी ने पर्यावरण के अनुकूल तरीकों को शामिल करने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर ध्यान दिलाया कि पालतू पशुओं के आंकड़ों के बाद प्राप्त जानकारी की जांच और समझदारी से उपयोग भविष्य के विभागीय दृष्टिकोण बनाने और कार्यक्रमों को लागू करने के साथ-साथ नई योजनाएं बनाने और पशुपालकों का समर्थन करने के लिए पशुपालन के क्षेत्र में काम करने के लिए तैयार करेगा।
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उन्होंने आगे पशुओं की तुलना बहुतायत और संसाधनों से की, जिन्हें आम तौर पर “पशुधन” कहा जाता है। उन्होंने बताया कि कैसे भारत में पंजाब सरकार दूध उत्पादन के लिए सर्वोत्तम तरीकों का उपयोग कर रही है और कैसे पशुधन किसानों को उनकी नकदी जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करके आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने में मदद करता है।
पशुपालन एवं डेयरी शाखा
उन्होंने पशुपालन एवं डेयरी शाखा (डीएएचडी) द्वारा की गई नवीनतम प्रगति जैसे लिंग-निर्धारित वीर्य के उपयोग पर भी चर्चा की। उन्होंने सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों को सफल प्रशिक्षण सत्र की शुभकामनाएं दीं और उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
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कार्यशाला के प्रथम सत्र में पशुपालन सांख्यिकी प्रभाग ने 21वीं पशुधन गणना का संक्षिप्त विवरण दिया, जिसके बाद श्री बी पी मिश्रा ने गहन प्रस्तुति दी और आईसीएआर-एनबीएजीआर की इस टीम ने गणना में शामिल की जाने वाली प्रजातियों के नस्ल विवरण पर काम किया।
सटीक किस्म पहचान प्रमाण के महत्व पर बल दिया गया, जो विभिन्न पालतू पशु क्षेत्र कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले सटीक माप बनाने और व्यवहार्य सुधार उद्देश्यों (एसडीजी) के सार्वजनिक सूचक प्रणाली (एनआईएफ) के लिए महत्वपूर्ण है। ये नोडल अधिकारी अपने-अपने स्थानीय मुख्यालयों पर गणनाकर्ताओं के लिए प्रशिक्षण का निर्देशन करेंगे।
कार्यशाला के समापन पर श्री. वी.पी. सिंह ने पशुपालन एवं डेयरी शाखा में पशु संवर्धन मापन प्रभाग के पर्यवेक्षक के रूप में धन्यवाद ज्ञापन किया। अपने कार्यालय में उन्होंने सभी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने गणमान्य व्यक्तियों और भागीदारों को उनकी उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया तथा इस विश्वास के साथ समापन किया कि गणना कार्य सफल होगा।