Department of Food (DFPD), भारतीय विधानमंडल तथा भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने आज यहां वित्त वर्ष 2024-25 के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि खाद्यान्न प्राप्ति एवं वितरण की दक्षता एवं जिम्मेदारी को बेहतर बनाया जा सके।
Department of Food
एमओयू में विशिष्ट निष्पादन मानक (FCI गोदामों की निष्पादन बेंचमार्किंग सहित) तथा खाद्य सुरक्षा कार्यों की देखरेख में सार्वजनिक अनुदानों के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में उत्तरदायित्व उपायों को शामिल किया गया है।
FCI गोदामों की निष्पादन बेंचमार्किंग में स्टेशन दक्षता सीमाएँ जैसे सीमा उपयोग, कार्यात्मक नुकसान, सुरक्षा प्रयास, टर्मिनलों पर प्रक्रियाओं का आधुनिकीकरण एवं रोबोटीकरण आदि शामिल हैं।
![Department of Food](https://samadhanvani.com/wp-content/uploads/2024/09/Department-of-Food-4-1024x576.png)
यह समझौता ज्ञापन एक ऐसा अभियान है जो सार्वजनिक वितरण ढांचे (PDS) को बेहतर बनाने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के दायित्व को दर्शाता है कि खाद्य प्रायोजन निधियों को FCI गतिविधियों तथा इसके स्टॉप की प्रस्तुति में समग्र सुधार के माध्यम से उच्चतम स्तर की दक्षता के साथ पूरा किया जाए।
👉👉यह भी पढ़ें:प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2nd International Conference on Green Hydrogen को संबोधित किया
![Department of Food](https://samadhanvani.com/wp-content/uploads/2024/09/Department-of-Food-1024x576.png)
FCI की स्थापना
FCI की स्थापना 1965 में संसद के एक अधिनियम के तहत की गई थी जिसे खाद्य संगठन अधिनियम, 1964 (1964 का अधिनियम संख्या 37) कहा जाता है, जिसका मुख्य दायित्व खाद्यान्नों की खरीद, भंडारण, विकास/परिवहन, वितरण तथा आपूर्ति का प्रयास करना है।
![Department of Food](https://samadhanvani.com/wp-content/uploads/2024/09/Department-of-Food-2-1024x576.png)
यह उद्यम खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (DFPD) के हित में सार्वजनिक सहायता आदेश प्रदान करता है। इसका कोई आय स्रोत नहीं है तथा इसका सार्वजनिक सहायता आदेश पूरी तरह से भारत सरकार (GOI) द्वारा जारी खाद्य निधि से वित्तपोषित है।
👉👉>>>Visit: samadhan vani
![Department of Food](https://samadhanvani.com/wp-content/uploads/2024/09/Department-of-Food-1-1024x576.png)
यह उचित है कि इस तरह के बड़े सार्वजनिक उपयोग का मूल्यांकन उनकी व्यय व्यवहार्यता तथा नकदी के लिए प्रोत्साहन के लिए किया जाए। इसमें बुनियादी कार्यात्मक सीमाओं पर निष्पादन का बेंचमार्किंग तथा संस्थागत जिम्मेदारी निर्धारित करना शामिल है।