Disasters in Himalayan region:प्राकृतिक (सुरक्षा) अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अंतर्गत भारत सरकार ने 14 सितंबर 2006 से एस.ओ. 1533 (E) के तहत जलवायु प्रभाव मूल्यांकन (EIA) चेतावनी जारी की है।
Disasters in Himalayan region
इस चेतावनी की समय-सारिणी में दर्ज सभी नए कार्यों और साथ ही मौजूदा परियोजनाओं के कार्यान्वयन या आधुनिकीकरण के लिए पहले की प्राकृतिक छूट की अपेक्षा की जाती है। समय-समय पर संशोधित EIA चेतावनी 2006 में प्राकृतिक स्वतंत्रता (EC) देने की प्रक्रिया को शामिल किया गया है, जिसमें स्क्रीनिंग, जांच, औपचारिक बैठक और परीक्षा शामिल है।
इसमें EIA अध्ययनों का निर्देशन शामिल है, जो प्रस्तावित उपक्रम या सुधार कार्रवाई के संभावित पर्यावरणीय प्रभावों का आकलन करने के लिए है, इस तरह के अध्ययनों के आधार पर, प्राकृतिक प्रबंधन योजना (EMP) तैयार की जाती है,
जिसमें बाढ़, तटीय बाढ़, महानगरीय बाढ़, फ्रॉस्टी लेक इरप्शन फ्लड (जीएलओएफ), सूखा, तूफान और नदी/तटीय क्षेत्र विनाश सहित संभावित आपदाओं को कवर करने वाली स्थानीय विशिष्ट आपदा राहत योजना भी शामिल होती है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना
केंद्र और राज्य विधानसभाएं दोनों ही आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए उपाय कर रही हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने तूफान, बाढ़, सूखा, बाढ़, हिमस्खलन, लू आदि जैसी गंभीर जलवायु संबंधी आपदाओं से निपटने के लिए कुछ आपदा विशिष्ट नियम जारी किए हैं
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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) का गठन राज्य विधानसभाओं सहित सभी पक्षों को आपदा जोखिम प्रबंधन में मदद करने के लिए किया 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार। राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (एनडीएमएफ) के लिए 13693,000 रुपये।
2021-2026 की अवधि के लिए राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF) के लिए 32031 करोड़ रुपये। सरकार ने राहत कार्यों को करने और उनके कार्यान्वयन के लिए धन उपलब्ध कराने के लिए ‘एसडीएमएफ/एनडीएमएफ के गठन और संगठन’ पर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह जानकारी आज राज्य सभा में जलवायु, वन और पर्यावरण परिवर्तन मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने एक लिखित उत्तर में दी।