Guru Jambheshwar Science : राष्ट्रपति ने कहा कि युवा पीढ़ी को बदलती वैश्विक मांगों के लिए तैयार करना उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है।
Guru Jambheshwar Science
देश के संतुलित और सतत विकास के लिए यह भी आवश्यक है कि शिक्षा और प्रौद्योगिकी का लाभ गांवों तक पहुंचे। इस संदर्भ में गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थानों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि इस विश्वविद्यालय में छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों की संख्या अधिक है।
उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपने गांव और शहर के लोगों को शिक्षा के महत्व से अवगत कराएं और उन्हें अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें।

वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में
राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में किए जाने वाले विश्वस्तरीय शोध से भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इसके संकाय और विद्यार्थियों ने विभिन्न शोध और अनुसंधान परियोजनाओं में काफी सफलता हासिल की है।
इसमें इनक्यूबेशन, स्टार्ट-अप, पेटेंट फाइलिंग और शोध परियोजनाओं के लिए विशेष विभाग हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन सभी प्रयासों से विद्यार्थियों में नवाचार और उद्यमिता की भावना विकसित होगी और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ने विद्यार्थियों को याद दिलाया कि शिक्षा केवल नए कौशल और ज्ञान सीखने से कहीं अधिक है।

शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति में नैतिकता, करुणा और सहिष्णुता सभी विकसित की जा सकती है। शिक्षा से व्यक्ति की रोजगार क्षमता और सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूकता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि उद्यमिता की मदद से विद्यार्थी अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में सक्षम हो सकते हैं।
मानसिकता अपनाने का आग्रह
उद्यमशीलता की मानसिकता उन्हें अवसरों की पहचान करने, जोखिम उठाने और मौजूदा समस्याओं का रचनात्मक समाधान खोजने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों से रोजगार पाने की मानसिकता के बजाय रोजगार पैदा करने की मानसिकता अपनाने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा कि यदि वे इस मानसिकता के साथ आगे बढ़ेंगे तो वे अपने ज्ञान और कौशल का समाज के लाभ के लिए बेहतर उपयोग कर सकेंगे और भारत के विकास में योगदान दे सकेंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि गुरु जम्भेश्वर जी एक महान संत और दार्शनिक थे, जिनके नाम पर इस विश्वविद्यालय का नाम रखा गया है।

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वे पर्यावरण संरक्षण, नैतिक आचरण और वैज्ञानिक सोच के प्रबल समर्थक थे। उनका मानना था कि प्रकृति की रक्षा करना, सभी जीवों के प्रति दया और करुणा दिखाना तथा उनकी रक्षा करना मनुष्य का नैतिक कर्तव्य है।
आज जब हम पर्यावरण समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास कर रहे हैं तो गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाएं बहुत प्रासंगिक हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस विश्वविद्यालय के शिक्षक और विद्यार्थी गुरु जम्भेश्वर जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज और देश की प्रगति में अपना योगदान देते रहेंगे।