इंडस्ट्रियल लॉ रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन मेरठ
independence of lawyers : आज इंडस्ट्रियल लॉ रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन मेरठ, के अधिवक्ताओं ने भारत की राष्ट्रपति महोदया भारत सरकार को जिलाधिकारी मेरठ के माध्यम से ज्ञापन दिया और ज्ञापन में मांग की गई है कि अधिवक्ता संशोधन अधिनियम 2025 को अभिलंब वापस लिया जाए।
इस बाबत ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले दिनों भारत सरकार एडवोकेट्स संशोधन बिल 2025 लेकर आई है। इस बिल के माध्यम से सरकार भारतवर्ष के 27 लाख अधिवक्ताओं के अधिकारों और व्यवसाय पर मनमाना कुठाराघात करने पर आमादा हो गई है।

independence of lawyers
भारत सरकार इस विधेयक के माध्यम से वकीलों द्वारा अन्याय के खिलाफ उठाए जाने वाली, आजाद आवाज को छीन लेना चाहती है। अब वकीलों पर हर्जाना/ जुर्माना लगाया जाएगा।
सरकारी जोर जबरदस्ती का विरोध करने से वकीलों को रोका जाएगा, वकीलों की स्वायत्त संस्था बार काउंसिल आफ इंडिया में सरकारी हस्तक्षेप किया जाएगा, सरकार वकीलों पर नियंत्रण करना चाहती है, उन्हें अपना गुलाम और नौकर बनाने पर उतारू हो गई है।
सरकार वकीलों के जायज विरोध की आवाज
सरकार वकीलों के जायज विरोध की आवाज को बंद कर देना चाहती है। इस काले विधायक के खिलाफ उत्तर प्रदेश के समस्त न्यायालय आज बंद हैं। यहां तक की इलाहाबाद उच्च न्यायालय भी आज बंद है। वे सब इस कल विधायक को तुरंत वापस करने की मांग कर रहे हैं और दिल्ली की अदालतें तो पिछले 5 दिन से लगातार बंद चल रही है।
वकीलों द्वारा सरकार द्वारा लगातार मांग करने के बावजूद भी ऑफिसर ऑफ द कोर्ट यानी अधिवक्ताओं को कोई सुविधाएं नहीं दी गई हैं। जूनियर स्टाइपेंड, चैंबर, मेडिकल बीमा, अधिवक्ता पेंशन की कोई सुविधा नहीं है।

लगातार मांग करने के बावजूद सरकार अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम तो लाई नहीं, अधिवक्ता संशोधन लेकर आ गई, जो अधिवक्ताओं की आजादी को छीनने वाला एक काला, अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी मनमाना विधायक है।
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न्यायपालिका की स्वतंत्रता, अधिवक्ता आज़ादी, न्याय, संविधान और कानून के शासन को निष्पक्ष, आतंकमुक्त और स्वतंत्र रखने के लिए, इस काले अधिवक्ता संशोधन विधायक 2025 को तुरंत वापस लिया जाए।
ज्ञापन देने वालों में मुनेश त्यागी अध्यक्ष, नवीन भारद्वाज उपाध्यक्ष, दिनेश यादव, तेजेंद्र कुमार जॉइंट सेक्रेटरी, निखिल दुबलिश, अमित शर्मा, प्रवीन कुमार भारद्वाज, अनिल कुमार अरोड़ा, सुभाष गोस्वामी सुदेश चंद्र शर्मा और नवीन कुमार आदि अधिवक्ता शामिल थे।
