स्टूडियो पांच राज्यों के प्रतिनिधियों को Rapid Risk Screening करने के लिए सक्रिय प्रशिक्षण देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
Rapid Risk Screening
सार्वजनिक बांध कल्याण प्राधिकरण (एनडीएसए), डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर, भारत सरकार मध्य प्रदेश के लोक प्राधिकरण के साथ मिलकर बांध रिकवरी और सुधार कार्यक्रम (ड्रिबल) के तत्वावधान में 13-14 दिसंबर 2024 को भोपाल में चिन्हित बांधों की त्वरित जोखिम स्क्रीनिंग पर दो दिवसीय प्रांतीय स्टूडियो का आयोजन कर रहा है।
स्टूडियो का उद्देश्य पांच राज्यों अर्थात महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को उनके अलग-अलग राज्यों में चिन्हित बांधों की संख्या की समय पर जोखिम स्क्रीनिंग की आवश्यकता के बारे में जागरूक करना है। इन राज्यों में देश के कुल चिन्हित बांधों की संख्या का 75% से अधिक हिस्सा है।
स्टूडियो इन राज्यों के प्रतिनिधियों को जोखिम स्क्रीनिंग करने के लिए सक्रिय प्रशिक्षण देने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इस कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीदास सिलावट ने की।
जुआ स्क्रीनिंग उपकरण को लॉन्च
उन्होंने विश्व बैंक के विशेषज्ञों की मदद से ड्रिबल के तहत एनडीएसए द्वारा बनाए गए ऑनलाइन जुआ स्क्रीनिंग उपकरण को भी लॉन्च किया। यह उपकरण राज्यों के साथ मिलकर जुआ को व्यवस्थित और त्वरित तरीके से पूरा करने में काम करेगा।
इस कार्यक्रम में प्रमुख गणमान्य लोगों ने भाग लिया, जिनमें जल संसाधन, नदी सुधार और गंगा पुनरुद्धार विभाग (डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर), जल शक्ति मंत्रालय की सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी
, मध्य प्रदेश विधानसभा के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजेश राजौरा, एनडीएसए के प्रशासक श्री अनिल जैन, संयुक्त सचिव (आरडी और पीपी), डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर श्री आनंद मोहन और विश्व बैंक के प्रतिनिधि शामिल थे।
मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीदास सिलावट ने कहा कि जल संरक्षण संरचनाओं का स्वास्थ्य हमारी जीवनशैली में निहित है।
जोखिम जांच उपकरण
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बांधों की सुरक्षा देश की जल सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और इसी तरह, नवीनतम तकनीक के समुचित उपयोग के साथ हमारे देश के इन उन्नत अभयारण्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक प्रयास किए जाने की उम्मीद है।
समारोह को संबोधित करते हुए, DoWR, RD और GR सचिव सुश्री देबाश्री मुखर्जी ने पिछले तीन-चार वर्षों में DoWR, RD और GR द्वारा जोखिम जांच उपकरण विकसित करने के प्रयासों को स्पष्ट किया,
जिसमें विश्व भर के विशेषज्ञों के साथ सक्रिय चर्चा और भारतीय परिस्थितियों के लिए उपकरण की व्यापक स्वीकृति शामिल है। उन्होंने जोखिम-सूचित दिशा के लिए इस उपकरण द्वारा निभाई जाने वाली बुनियादी भूमिका पर भी ध्यान केंद्रित किया। साथ ही,
उन्होंने चेतावनी दी कि परिणाम की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए इस उपकरण का उपयोग करते हुए मूल्यांकन करते समय अपेक्षित स्तर के प्रयास किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने आग्रह किया कि बांध सुरक्षा सुनिश्चित करना निश्चित रूप से एक बार की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक सतत प्रक्रिया है।
त्वरित जोखिम जांच प्रणाली
श्री राजेश राजौरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, जल संसाधन, सरकार। मध्य प्रदेश सरकार ने बांध सुरक्षा प्रबंधन को बढ़ावा देने वाली विभिन्न गतिविधियों को आगे बढ़ाने में समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी पर जोर दिया।
एनडीएसए के कार्यकारी श्री अनिल जैन ने त्वरित जोखिम जांच प्रणाली को व्यापक बांध सुरक्षा आकलन की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने राज्य विधानसभाओं को प्रयासों में तेजी लाने और अगले छह महीने के भीतर जोखिम मूल्यांकन पूरा करने की गारंटी देने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे संसाधनों और मध्यस्थता के बारे में शिक्षित प्राथमिकता को सशक्त बनाया जा सके।
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श्री आनंद मोहन, संयुक्त सचिव (आरडी और पीपी), डीओडब्ल्यूआर, आरडी और जीआर ने परिचय देते हुए जोर दिया कि बांधों से जुड़े महत्वपूर्ण डेटासेट में प्रवेश करते समय एक उद्देश्यपूर्ण दृष्टिकोण का पालन किया जाना चाहिए और सभी स्तरों पर झुकाव को सीमित करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
जोखिम स्क्रीनिंग को पूरा करने की तकनीक
उन्होंने कहा कि जोखिम मूल्यांकन और प्रबंधन एक ऐसा ढांचा प्रदान करते हैं जहां बांधों से जुड़े सभी दृष्टिकोणों को नेविगेशन को आगे बढ़ाने के लिए समन्वित किया जाता है। उन्होंने अपने विशेषज्ञों के काम को सीमित करने के लिए सभी राज्यों को भारत सरकार की गंभीर सहायता के बारे में भी बताया।
बांध सुरक्षा विशेषज्ञ श्री प्रेज़ेमिस्लाव ज़िलिंस्की ने बांधों की देखरेख के लिए जोखिम-सूचित निर्णय-निर्माण के साथ वैश्विक अनुभव साझा किया,
जिसमें बताया गया कि भारत में निर्धारित बांधों की बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए स्तरित घटक सोच के माध्यम से इस पद्धति को अपनाने से भारत को कैसे लाभ हो सकता है। भाग लेने वाले राज्यों ने मई 2025 तक अपने सभी पूर्व निर्धारित बांधों की जोखिम स्क्रीनिंग को पूरा करने की तकनीक पेश की।