संविधान एव कानून से ऊपर हैं एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता?
उत्तर प्रदेश। दादरी ग्रेटर नोएडा। एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता का भू माफिया प्रेम एव न्यायपालिका को ठेंगा दिखाने का प्रकरण प्रकाश में आया है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी एव प्राप्त साक्ष्यों से ज्ञात है कि, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता अर्थ शक्ति अधीन है तथा, अर्थ बल के प्रभाव में कानून के साथ खिलवाड़ करने से भी परहेज नहीं करते है अर्थात कहने का अभिप्रायः है कि, पैसों के लिये राज्य को भी गिरवी रख दे या बेंच दें तो शायद कम ही होगा।
बताते चले
एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता ने वर्ष 2021 में विवेक दहिया एन्ड पार्टी से साँठगाँठ की
कि, दादरी तहसील अंतर्गत हैबतपुर माजरा के खसरा संख्या 329 का एक प्रकरण वर्ष 2020 में एसडीएम न्यायिक के न्यायालय में अंतर्गत धारा 24 उत्तर प्रदेश राजस्व अधिनियम 2006 विवेक दहिया बनाम देव दत्त शर्मा दायर हुआ किन्तु, एसडीएम न्यायिक उक्त दायर वाद में कोई सुनवाई करती, पक्ष या विपक्ष को जानती इससे, पूर्व ही एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता ने वर्ष 2021 में विवेक दहिया एन्ड पार्टी से साँठगाँठ कर, महिमामंडित चकमार्ग विवाद जो कि, राजस्व अभिलेखों एव सजरा में मौजूद नहीं है
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खसरा संख्या 327 व 330 की साढ़े सात बीघे भूमि पर गंगेस्टरों को कब्जा करवा दिया
दिखाकर, सर्फाबाद निवासी सुरेंद्र यादव, अशरफी देवी आदि की खसरा संख्या 327 व 330 की साढ़े सात बीघे भूमि पर, प्रदत्त संवैधानिक शक्तियों का दुरुपयोग करते हुये, न्याय क्षेत्र से परे जाकर गंगेस्टरों को कब्जा करवा दिया। जबकि, उक्त प्रकरण आज भी एसडीएम न्यायिक की न्यायालय में लंबित है और, पीड़ित स्थानीय किसान निरंतर एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता से गुहार लगा रहे है कि, उनकी भूमि कब्जा मुक्त करवाई जाये किन्तु, पीड़ितों एव क्षेत्रीय आम जनता के मत को माने तो, एसडीएम दादरी ने पीड़ितों की भूमि पर जबरन कब्जा करवाने हेतु, गैंगेस्टर्स से मोटी रकम वसूली है,
एसडीएम दादरी ने पीड़ितों की भूमि पर जबरन कब्जा करवाने हेतु गैंगेस्टर्स से मोटी रकम वसूली
ऐसी स्थिति में न्याय की कल्पना करना बेईमानी ही होगी। बहराल, ऐसी परिस्थिति में एक ही यक्ष प्रश्न पर्याप्त है यदि एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता ने अपने ईमान का सौदा नहीं किया था तो, उन्होंने अपने न्याय क्षेत्र से ऊपर उठते हुये, खसरा संख्या 327 को 329 बताते हुये बिना, न्यायिक प्रक्रिया के गैंगेस्टर्स को कब्जा क्यों दिया? क्या एसडीएम देश के संविधान और कानून से ऊपर है? या फिर एसडीएम सरकारी नुमाइन्दा है इसलिये सरकार की तरफ से भोली भाली जनता को लूटने की खुली छूट है? बहराल, सच क्या है? समाज एव सरकार में विद्यमान विद्वान स्वयं तय कर लें।
डॉ0वी0के0सिंह
(वरिष्ठ पत्रकार)