जिला गौतमबुद्धनगर स्थित दादरी तहसील क्षेत्रान्तर्गत भू-माफियाओं का वर्चस्व व बोलबाला साफ तौर पर देखा व सुना जा सकता है

जिला गौतमबुद्धनगर स्थित दादरी तहसील क्षेत्रान्तर्गत भू-माफियाओं का वर्चस्व व बोलबाला साफ तौर पर देखा व सुना जा सकता है

भू-माफियाओं का वर्चस्व व बोलबाला साफ तौर पर देखा व सुना जा सकता है

माफियाओं

उत्तर प्रदेश तहसील दादरी। ग्रेटर नोएडा। जिला गौतमबुद्धनगर स्थित दादरी तहसील क्षेत्रान्तर्गत भू-माफियाओं का वर्चस्व व बोलबाला साफ तौर पर देखा व सुना जा सकता है और, कदाचित भू- माफियाओं के चित्रगुप्त एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता की खूबियों के विषय में कुछ न ही कहें तो, बेहतर होगा।तहसील परिसर में विधिवेत्ताओं एव पीड़ितों के मुखारबिंद से सुना है कि, भू- माफियाओं के चित्रगुप्त एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता भू-माफ़ियाओं से मिलकर अब तक करोड़ों की नामी व बेनामी सम्पत्ति के स्वामी बन चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जनवरी को छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के संग परीक्षा पे चर्चा करेंगे

राज्य के माफ़ियाओं के विकास में अपना अतुलनीय सहयोग व योगदान प्रदान कर रहे हैं

शायद पाठक गण ये समझ रहे होंगे कि, एसडीएम साहब स्वयं ही करोड़ों की नामी व बेनामी सम्पत्ति के मालिक बन रहे हैं तो, यह सरासर गलत है, ये इल्जाम मात्र है, एसडीएम साहब तो बेचारे सत्यनिष्ठा के साथ भू-माफियाओं को निजी सम्पत्ति कब्जाने के आसान टिप्स देकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए, अपने साथ- साथ भू माफ़ियाओं को भी करोड़ो का मालिक बना रहे हैं अर्थात, भारत के यश्यश्वी प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा “सबका साथ, सबका विकास।। वाली नीति पर अपना एव राज्य के माफ़ियाओं के विकास में अपना अतुलनीय सहयोग व योगदान प्रदान कर रहे हैं।

अपने कार्यालय में प्रार्थना पत्र लेकर, जाँच के नाम पर राजस्व टीम गठित करते हैं

माफियाओं

विश्वस्त सूत्रों एव दादरी तहसील परिसर में आने वाले गरीब पीड़ितों की माने तो, एसडीएम साहब माफियाओं को सार्वजनिक मार्ग अवरुद्ध, नाली अवरूद्ध इत्यादि की सलाह देकर, अपने कार्यालय में प्रार्थना पत्र लेकर, जाँच के नाम पर राजस्व टीम गठित करते हैं, फिर चाहें राजस्व विभाग के अभिलेखों में चकमार्ग, नाली या कोई अन्य विवाद हो या न हो, टीम स्वयं जाँच के नाम पर पाक साफ जमीन को भू- माफियाओं को कब्जा देकर विवादित घोषित कर देती है। अब लड़ते रहो मुकदमा, तारीख पर तारीख- तारीख पर तारीख- आगे भी तारीख ही मिलेगी न्याय की परिकल्पना स्वयं को धोखा देना है।

गरीब तो पैदा ही दबाये व कुचले जाने के लिए होते हैं

वैसे देखा जाये तो, गलती एसडीएम साहब की भी नहीं है, गरीब तो पैदा ही दबाये व कुचले जाने के लिए होते हैं लेकिन, इन गरीबों की अकड़ फिर भी कम नहीं होती है, बात करते हैं, सरकार व न्यायालय से लड़कर ले लेंगे जबकि, आम आदमी को पता होना चाहिये राज्य में सरकार कितनी भी अच्छी व ईमानदार क्यों न हो, जब तक सरकारी नुमाइन्दे अच्छे व अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से नहीं करेंगे तब तक अच्छी व ईमानदार सरकार होने का कोई औचित्य नहीं होता है और अच्छी सरकार भी अर्थहीन हो जाती है।

एसडीएम के दरबार में न्याय तो बहुत दूर की बात है, मुफ्त में किसी को पानी भी नहीं मिलता है

माफियाओं

इसी क्रम में, किसी भी राज्य व राष्ट्र का संविधान व कानून कितना भी अच्छा हो जब तक, उस अच्छे संविधान व कानून का पालन करने वाले व कानून का अनुपालन करवाने वाले लोग अच्छे न हों, तब तक अच्छे संविधान व कानून का कोई अर्थ नहीं होता है। रही बात एसडीएम साहब के दरबार की तो, एसडीएम के दरबार में न्याय तो बहुत दूर की बात है, मुफ्त में किसी को पानी भी नहीं मिलता है, और गरीब के पास देने के नाम पर, गरीब पीड़ित किसानों के पास मैला पायजामा और, मेहनत के पसीने की बदबू के सिवाय कुछ होता ही नहीं।

अपनी तो अपनी रहेगी ही, औरों की भी अपनी ही समझो

भला ऐसे भी कहीं न्याय मिलता है जरा पैसे खर्च करो, एसडीएम साहब से मिलो, और बताओ उन्हें कि, अब आप आम आदमी नहीं रहे फिर, अपनी जमीन की छोड़ो, अपनी तो अपनी रहेगी ही, औरों की भी अपनी ही समझो।चूँकि, एसडीएम दादरी आलोक गुप्ता सिर्फ और सिर्फ भू- माफियाओं के चित्रगुप्त हैं जिनके पास माफियाओं द्वारा कब्जाई जाने वाली भूमि एव उसके एवज में कितना माल कहाँ से आना है और, उसे बेनामी सम्पत्ति खरीदने में कहाँ, कब और कैसे लगाना है का ही लेखाजोखा मात्र है।

कर्तव्यनिष्ठ जिनका धर्म सिर्फ माफियाओं की सेवा करना हो

माफियाओं

वैसे सरकार चाहे तो ऐसे होनहार, प्रशासनिक अधिकारी की गोपनीय जाँच करवाकर, माफ़ियाओं के प्रति इनकी सत्यनिष्ठा को दृष्टिगत रखते हुए, सम्मानित भी कर सकती है या फिर, चाहे तो लाभ में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित कर सकती है या फिर, पदभार से भी मुक्त कर सकती है, निर्णय सरकार का है।अच्छा कुछ लोगों का भृम है कि, वे एसडीएम दादरी की शिकायत डीएम से कर देंगें, कोई फर्क नहीं पड़ता ऐसे होनहार, कर्तव्यनिष्ठ जिनका धर्म सिर्फ माफियाओं की सेवा करना हो, के विरुद्ध दिए जाने वाले शिकायती पत्र कचरे की पेटी में अपनी बदहाली पर आँसू बहाते नजर आयेंगे।

भैया मैं खुद भी पत्रकार हूँ लेकिन, मेरी पहले से हालत खराब हो रखी है

माफियाओं

रही बात मीडिया के सामने रखने की तो,, भैया मैं खुद भी पत्रकार हूँ लेकिन, मेरी पहले से हालत खराब हो रखी है, माफ़ियाओं की डर से सांस भी लेता हूँ तो, भीतर ही भीतर।।एसडीएम साहब के एक करीबी चश्म ओ चिराग भू- माफिया ने मेरी पत्रकारिता मेरे ही पिछवाड़े में डालने की बात कह दी, अब ऐसे में, जिला प्रशासन एव पुलिस प्रशासन में शामिल भृष्ट जिन्हें माफ़ियाओं के धन बल ने नपुंसक बना दिया है के, सहारे स्वच्छ व नीतिगत पत्रकारिता कैसे की जा सकती है? बहराल, भू- माफियाओं के चित्रगुप्त एसडीएम साहब अब मान भी जाओ, हार गई पत्रकारिता, जीत गये आप?

बुमराह श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज से बाहर:6 दिन पहले की थी टीम इंडिया में वापसी, 5 महीने पहले चोट लगी थी