तीन पत्ती के नाम से चार धाम भी कहा जाता है
गुजरात के सूरत शहर में मां अंबाजी का मंदिर है जोकि लगभग 400 वर्ष पुराना है इस मंदिर में मराठा छत्रपति शिवाजी महाराज भी दर्शन करने के लिए आते थे यह मंदिर कब और कैसे बना इसके विषय में जो मंदिर के ट्रस्टी है गुजरात: नीलम अंबाजी उन्होंने बताया कि यह प्रेम जी भट्ट को मां अंबा ने सपने में उनको कहा
रुद्राक्ष की उत्पत्ति भोलेनाथ के आंसूओं से हुई
गुजरात के सूरत में यह जगह बहुत ही मशहूर है
कि मुझे यहां से ले चलो और प्रेम जी भट्ट मां को गब्बर पर्वत से लेकर आए मां को सबसे पहले अहमदाबाद में रखा गया लेकिन किसी कारण बस वहां से फिर माताजी को सूरत में लाकर यहां मंदिर का निर्माण कर मां को आसन दिया गया। इस मंदिर की बहुत बड़ी विशेषता है जो भी भक्त यहां पर आते हैं और जो भी मनोकामना मां से करते हैं
उनकी हर मनोकामना मां अवश्य पूर्ण करती है
यहां मंदिर का निर्माण कर मां को आसन दिया गया
उनकी हर मनोकामना मां अवश्य पूर्ण करती है यह अंबाजी का बहुत ही बड़ा चमत्कार है और पूरे संसार में अंबाजी का मंदिर इस तरीके का कहीं भी नहीं मिलेगा और एक खास एक मां के यहां वरदान मिलता है जिनके बच्चे पैदा नहीं होते हैं उनको मां साल में एक बार यहां श्रीखंड खिलाया जाता है उस प्रसाद से जिनके बच्चे नहीं होते हैं उनको माता बच्चों के रूप में झोली भर्ती है और उनके घर में खुशियों की गूंज चाहती है
बहुत ही मनमोहक मां का स्वरूप आज विराजमान था
यहां 90% लोगों को मां का प्रसाद दिया जाता है जो भी श्रद्धा और विश्वास से दर्शन करने आते हैं उनकी माता हर मनोकामना पूर्ण करती है जब भी गुजरात के सूरत शहर में आए तो माता अंबा के दर्शन करने जरूर आएं भक्तों पर अनंत कृपा करती है ऐसी मां जगदंबा वाणी आज मां कात्यानी के रूप में विराजमान थी बहुत ही मनमोहक मां का स्वरूप आज विराजमान था।
सूरत से वंदना ठाकुर की रिपोर्ट ।
दिल्ली से सुनील परिहार के साथ कैमरामैन विजय राजपूत