मेडिसिन करती हैं भेदभाव, एस्ट्रोजन भी बनता है दुश्मन, पुरुषों में कारगर

मेडिसिन करती हैं भेदभाव, एस्ट्रोजन भी बनता है दुश्मन, पुरुषों में कारगर

 

महिलाओं पर इसका कम असर हो, ऐसा नहीं देखा

महिलाओं पर इसका कम असर हो

मेडिसिन करती हैं पेट में दर्द होता है तो हम तुरंत पेन किलर खा लेते हैं। लेकिन कभी-कभी दवा खाने के बाद भी दर्द कम नहीं होता। यह समस्या अधिकतर महिलाओं में होती है। मेडिकल न्यूज टुडे में एक स्टडी छपी। इसमें महिला और पुरुषों के शरीर पर पेन किलर का रिएक्शन देखा गया। पाया गया कि यह दवा महिलाओं के मुकाबले पुरुषों के शरीर में दर्द को तेजी से कम करती है।

दिल्ली स्थित इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉक्टर सप्तर्षि भट्‌टाचार्य से बात की। उन्होंने बताया कि हर इंसान का शरीर अलग-अलग होता है। महिलाओं पर इसका कम असर हो, ऐसा नहीं देखा गया है। लेकिन कई बार महिलाओं में पीरियड्स या किसी प्रजनन प्रणाली से जुड़ी कोई दिक्कत हो तो दवा अलग ढंग से काम कर सकती है।
महिला-पुरुष में दिल का दौरा एक जैसा नहीं होता तो दवा कैसे एक जैसे रिएक्ट करेंगी। दोनों के दिमाग और रीढ़ की हड्‌डी में दर्द के सिग्नल अलग-अलग होते हैं। 2016 तक दर्द से जुड़ी स्टडी में 80 फीसदी में पुरुष या चूहे प्रतिभागी होते थे।

महिला के शरीर में जब इसका लेवल ज्यादा

महिलाओं पर इसका कम असर हो

पीरियड्स को कंट्रोल करता है। शरीर में ये हार्मोन किस जगह है और कितने समय से है, यह स्थिति उन्हें असहनीय दर्द भी दे सकती है या नहीं भी। महिला के शरीर में जब इसका लेवल ज्यादा होगा तो उन्हें दर्द सहन नहीं होगा। महिलाओं में काम नहीं करता है। क्योंकि उनके शरीर में माइक्रोग्लिया की जगह टी सेल होते हैं जो दर्द के लिए जिम्मेदार होते हैं। जिन महिलाओं में यह सेल ज्यादा नहीं होते उन्हें दर्द से गुजरना पड़ता है।

महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले ज्यादा दर्द होता है। लेकिन मेडिकल चिकित्सक उन्हें पेन किलर की जगह दूसरी दवा देते हैं।1803 में पहली बार मोर्फिन नाम की पेन किलर इसी से बनाई गई। इस दवा का नाम ग्रीक में सपनों के भगवान मोरफस पर रखा गया। यह दवा 19वीं सदी में बनाई गई।