Gallery Walk
Gallery Walk' के जरिए सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों ने किया अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन

Gallery Walk’ के जरिए सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों ने किया अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन

बालमन पर लिखी इबारत उम्र भर के लिए हो जाती है दर्ज : डॉ. अजय गोयल

चिकित्सक, पर्यावरणविद व लेखक ने मां-बाप को दिए स्मार्ट अभिभावक बनने के गुर

विशेष संवादाता
गाजियाबाद।Gallery Walk: सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के छात्र छात्राओं द्वारा ‘भारत एक रंग अनेक’ विषय के अंतर्गत रंगारंग ‘Gallery Walk ‘ का आयोजन किया गया। विभिन्न प्रस्तुतियों के जरिए नन्हे-मुन्ने बच्चों ने देश के विभिन्न प्रांतों की कला, संस्कृति, रिवाज, खान-पान, भाषा व वेशभूषा की विविधता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से बच्चे यह संदेश देने में सफल रहे कि भारत इकलौता ऐसा देश है जहां लोग विभिन्न भाषा बोलने, विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और संस्कृति से होने के बावजूद एक साथ सौहार्द से रहते हैं। यह जीवन शैली ही ‘विविधता में एकता’ का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

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Gallery Walk जहां लोग विभिन्न भाषा बोलने, विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और संस्कृति से होने के बावजूद एक साथ सौहार्द से रहते हैं।

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नेहरू नगर शाखा में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि बाल रोग विशेषज्ञ, पर्यावरणविद एवं सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. अजय गोयल ने कहा कि तकनीक और सूचना का यह दौर बाल मन के भटकाव का खतरनाक दौर है। अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने कहा कि अधिकांश अभिभावक यह शिकायत करते हैं कि बच्चे उनकी बात नहीं मानते या बच्चे मोबाइल नहीं छोड़ते। उन्होंने कहा कि बाल मन एक कोरे कागज की तरह‌ होता है।

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सुप्रसिद्ध लेखक डॉ. अजय गोयल ने कहा कि तकनीक और सूचना का यह दौर बाल मन के भटकाव का खतरनाक दौर है

Gallery Walk: बचपन में जो इबारत या प्रवृत्ति उस पर दर्ज हो जाती है, बच्चे उम्र भर के लिए आत्मसात कर लेता है। उन्होंने अभिभावकों को अपना क्वालिटी टाइम बच्चों के साथ बिताने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि हर अभिभावक को हर सुबह बच्चों के साथ पांच मिनट हंसने का अभ्यास अवश्य करना चाहिए। इससे अभिभावक और बच्चे दोनों दिन भर तनावमुक्त रहेंगे। इसके अलावा बच्चों को शांत रहने की साधना कराना भी आवश्यक है।

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बच्चे का भविष्य जन्म से तय करने के साथ उसे कोटा (कोचिंग) संस्कृति में न धकेलिए।

बच्चों में शांत रहने की प्रवृत्ति उन्हें उच्श्रृंखलता से बचाने के साथ उन्हें रचनात्मकता की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि आज स्मार्ट फोन, स्मार्ट वॉच, स्मार्ट टीवी का जमाना है, लिहाजा आप लोग भी स्मार्ट पेरेंट्स बनिए। बच्चे का भविष्य जन्म से तय करने के साथ उसे कोटा (कोचिंग) संस्कृति में न धकेलिए।

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चिकित्सक, पर्यावरणविद व लेखक ने मां-बाप को दिए स्मार्ट अभिभावक बनने के गुर

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Gallery Walk: कार्यक्रम में बच्चों द्वारा चार राज्यों केरल, राजस्थान, पश्चिम बंगाल व जम्मू-कश्मीर के लोकनृत्य प्रस्तुत कर भरपूर प्रशंसा बटोरी। प्रधान अध्यापिका उमा नवानी ने अभिभावकों, आगंतुकों एवं पूर्व उप प्रधानाचार्या कविता सरना व रेनू चोपड़ा, सोनिया सेहरा, एकता कोहली, चिरोश्री, मंजु कौशिक, पूजा अहलावत, नीना राणा, नेहा पाल, शिखा शर्मा, अनुज शर्मा, सुप्रिया वर्मा, मीना उत्तम, श्रुति मित्तल, नीति गंभीर व सुरभि त्यागी आदि का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन हरप्रीत कौर, आरव कौशिक, रिशित गर्ग, कुशाग्र और आरना वशिष्ठ ने किया।

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