माँ की ममता को कौन दिल से पुकारे मेरी मौत ही उनकी दुआ थी

माँ की ममता को कौन दिल से पुकारे मेरी मौत ही उनकी दुआ थी

माँ की ममता को कौन दिल से पुकारे मेरी मौत ही उनकी दुआ थी

माँ ने मरते वक्त मुझे जहर मंगवाकर खा लेने को कहा मेरी मौत ही उनकी दुआ थीमैं बगल में थी, लेकिन कुछ कर नहीं सकी, सिवाय एक-के-बाद एक फोन करने और इससे-उससे गिड़गिड़ाने के। जब तक कोई आया, मां दर्द से कहती रहीं और मैं बेबसी से।गर्मियों का वक्त था। मां तख्त पर लेटी थीं कि तभी माँ की ममता शरीर में जलन महसूस हुई। सिर हिलाकर देखा तो पता चला कि चींटियां काट रही हैं। एक-दो नहीं, लाल चींटियों का पूरा गुच्छा शरीर पर जख्म कर रहा था।    दिल्ली पुलिस ने 24 घंटे में सुलझाया भारत आई अमेरिकी महिला के अपहरण का केस, मामला निकला फर्जी

माँ नीली दीवारों वाले सीलन भरे कमरे में ये बताते हुए अनामिका हंस पड़ती हैं। लाचारगी भरी हंसी। वो हंसी, जिसे सुनकर साथ खिलखिलाने नहीं, बचकर भाग जाने को जी चाहता है। मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की मरीज अनामिका मिश्रा ने इसी बीमारी से अपनी मां को मरते देखा और अब अपनी बारी का इंतजार कर रही हैं।

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होती चली जाती हैं। शुरुआत कमर और पैरों से होती है, फिर धीरे-धीरे दिल तक की मसल्स पर असर होता है, और एक वक्त ऐसा आता है कि वो काम करना बंद कर देता है। लंग्स फेल होने से मरीज की मौत भी हो जाती है।

गंगा के दक्षिणी छोर पर बसे कानपुर शहर की अनामिका को इससे मतलब नहीं कि शहर में कौन-सा नया मॉल खुला है, या फिर पार्क बना है। उन्हें बदलते मौसम से भी फर्क नहीं पड़ता। उन्हें फर्क पड़ता है तो इंतजार से।साल 2014 से उठने-बैठने में भी लाचार ये युवती नींद आने पर सो नहीं सकती, बल्कि इंतजार करती है कि कोई उसे बिस्तर पर लिटाए। जो नहलाने के लिए आती है, वही मदद कर देती है। अगर उसे आने में वक्त लगे तो गंदी चादर पर ही पड़े रहना होगा।

माँ की ममता अनामिका के कमरे के ठीक सामने पानी और फूलों से भरा तसला रखा था, जिस पर फफूंद लग रही थी। पूछने पर पता लगा कि कुछ रोज पहले वहां पूजा हुई, लेकिन चूंकि सफाई करने वाला आया नहीं, लिहाजा सब कुछ वैसे ही पड़ा रहेगा।

माँ की ममता को कौन दिल से पुकारे मेरी मौत ही उनकी दुआ थी

माँ की ममता अनामिका ने दुपट्टा ओढ़ने की इच्छा जताई। मदद करने वाली तब तक जा चुकी थी। जब मैं उठकर अलमारी से दुपट्टा छांट रही थी, अनामिका व्हील चेयर पर पीठ किए बैठी थीं। चुपचाप। भरोसा करने की मजबूरी से घिरी हुई।35 पार की ये युवती बचपन को ऐसे याद करती हैं, जैसे ताजा जख्म कुरेद दिया हो। आठ साल की उम्र तक मैं आम बच्चों जैसी ही थी, फिर हालात बदलने लगे। दौड़ती, लेकिन सरककर रह जाती। खेलने जाती तो सांस फूलती। टीचर मुझे आलसी बुलाते। बच्चे चिढ़ाते।

माँ की ममता  14 साल की रही होऊंगी, जब साथ के बच्चे मुझे बूढ़ा बुलाने लगे। मुझसे अक्सर बाम की गंध आती और चलते हुए मैं अटक जाया करती थी।ठंड का वक्त हो और कोई कंबल ओढ़ाने न आए तो मैं सिकुड़ते हुए इंतजार करती रहती हूं। कई बार ऐसा होता है कि प्यास लग आए और कोई पानी पिलाने को नहीं जुटता। गर्मियों में कितने ही दिन घंटों मैंने सूखते गले के साथ बिताए। बाजू में पानी का घड़ा तो है, लेकिन मैं नीचे झुककर पानी नहीं ले पाती। हाथों में इतनी ताकत ही नहीं।

साल 2018 में उन्होंने इच्छा मृत्यु यानी यूथेनेसिया की मांग की। लोकल नेताओं से लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति तक को लिखा, लेकिन कहीं से कोई ‘पॉजिटिव’ जवाब नहीं आया। अनामिका याद करती हैं- तब मां जिंदा थीं। बिस्तर पर टुकुर-टुकुर देखते हुए हम दोनों की मौत की दुआ करतीं। तभी मैंने इच्छा मृत्यु की मांग की थी। डिमांड सुन ली जाती तो दर्द खत्म हो जाता।मौत मांगने की बजाय आपने खुद क्यों नहीं मौत को चुन लिया? मैं जैसे हथौड़ा मारती हूं।

माँ की ममता को कौन दिल से पुकारे मेरी मौत ही उनकी दुआ थी

माँ की ममता  हंसते हुए ही अनामिका बेबसी की तस्वीर खींच देती हैं। कहती हैं- जहर खाने के लिए जहर मंगवाना होगा। फांसी लगाने के लिए फंदा बनाकर चढ़ना होगा। मैं इतनी भी किस्मतवाली नहीं। शरीर थोड़ा भी चलता होता तो कब का मर चुकी होती।

माँ की ममता एक कमरे में रहते हर्ष गोयल से। अनामिका के फोन करने पर वे आए तो, लेकिन कैमरे पर बातचीत के लिए राजी नहीं थे। थोड़ी ना-नुकुर के बाद कहते हैं- सुबह-सुबह इनका फोन आ जाए तो कई बार खराब लगता है। गुस्सा भी आता है, लेकिन फिर लगता है कि मदद कर दी जाए। कई बार इन्हें कोई जरूरत पड़े और तभी मेरा या मेरी फैमिली का काम आ जाए तो जाहिर है कि मैं अपनी फैमिली को पहले देखूंगा। तब इन्हें मैनेज करना ही होगा।

हर्ष ये सारी बातें अनामिका के सामने कहते और सांय से निकल जाते हैं। मैं चुपचाप हूं। दो-एक मिनट बाद वही कहती हैं- आपको प्यास लगी हो या चाय पीनी हो तो बताइए! मैं नहीं में सिर हिलाते हुए बाहर आ जाती हूं। उसी हॉल में, जहां पानी और फूल पर फफूंद लग रही है। इस इंतजार में कि कोई आए तो सफाई हो सके  IRCTC Delhi Jobs Recruitment 2022 for Joint General Manager/ Deputy GM